इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व मंत्री एवं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़ी राहत दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आपराधिक मामला 2014 में दर्ज कराया गया था। जिसको अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच की तरफ से रद्द कर दिया गया है। 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा में थे। उस समय कपुर्री ठाकुर भागीदारी सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि शादियों में गौरी-गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए। यह दलितों और पिछड़ों को गुमराह करके उनको गुलाम बनाने के लिए एक साजिश है। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मुकदमा दर्ज हुआ था।
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सीजेएम कोर्ट के आदेश पर आईपीसी की धारा 295 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। स्वामी प्रसाद मौर्य के विरुद्ध आरोप तय करके सम्मन किया गया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इस फैसले को चैलेंज किया था। कहा था कि अखबार में छपे हुए बयान को बुनियाद नहीं बनाया जा सकता है। उनका यह बयान लखनऊ का बताया गया था तो सुल्तानपुर में क्यों मुकदमा दर्ज किया गया है? कोर्ट ने इस स्टेटमेंट को स्वीकार किया है। इस मामले को लेकर पहले राजनीति की गई थी लेकिन अब मामला कोर्ट में है।