कैंसिल प्लॉट भी हो सकते हैं रिस्टोर, नोएडा–ग्रेटर नोएडा–यमुना प्राधिकरण की पूरी प्रक्रिया आई सामने

Development Authority:

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में ऐसे हजारों आवंटी हैं, जिनके प्लॉट या फ्लैट किस्तें जमा न होने, समय पर निर्माण न कराने या नियमों के उल्लंघन के कारण रद्द (कैंसिल) कर दिए गए थे। हाल ही में यमुना प्राधिकरण नियमों का उल्लंघन करने पर प्लाॅट कैंसिल कर रहा है। 39 औद्योगिक भूखंड रद्द किया गया है। कई पर तलवार लटकी है। लेकिन राहत की बात यह है कि प्राधिकरणों ने नियमों के तहत कैंसिल प्लॉट को दोबारा रिस्टोर कराने की प्रक्रिया तय कर रखी है, जिसका लाभ आवंटी उठा सकते हैं। इसके लिए प्राधिकरण में शुल्क जमा करना होता है। आइए समझाते है पूरा मामला।

सबसे पहले जानिए कैंसिल होते हैै प्लॉट
प्राधिकरण अधिकारियों के अनुसार, आमतौर पर प्लॉट या फ्लैट निम्न कारणों से कैंसिल किए जाते हैं….
तय समय पर किस्तें जमा न करना
बार-बार डिफॉल्ट होना
निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य शुरू या पूरा न करना
प्राधिकरण के नोटिस का जवाब न देना
नियमों के विपरीत ट्रांसफर या उपयोग
कैंसिल प्लॉट रिस्टोर कराने की पात्रता क्या है?
प्राधिकरण की पॉलिसी के अनुसार, यदि प्लॉट अदालत द्वारा फाइनल रूप से जब्त नहीं किया गया हो। यदि जमीन पर किसी तीसरे पक्ष का अधिकार न बना हो। यदि आवंटी बकाया राशि और पेनाल्टी जमा करने को तैयार हो, तो रिस्टोरेशन पर विचार किया जा सकता है।

रिस्टोरेशन की पूरी प्रक्रिया
इसके लिए आवेदन करना अनिवार्य है। आवंटी को संबंधित प्राधिकरण (नोएडा,ग्रेटर नोएडा, यमुना) के सीईओ या एस्टेट विभाग में लिखित आवेदन देना होता है। आजकल कई मामलों में ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं।
बता दें कि इसमें जरूरी दस्तावेज भी लगाने होते है। आवेदन के साथ ये दस्तावेज लगाने होते हैं। जिसमें मूल आवंटन पत्र(Allotment Letter), कैंसिलेशन लेटर की कॉपी, पहचान पत्र (आधार/पैन), भुगतान रसीदें (यदि उपलब्ध हों), शपथ पत्र (Affidavit), बैंक डिटेल्स आदि। उसके अलावा बकाया राशि और पेनाल्टी, प्राधिकरण आवंटी को, बकाया मूल राशि, ब्याज, पेनाल्टी, रिस्टोरेशन चार्जका डिमांड लेटर जारी करता है, जिसे तय समय में जमा करना होता है।

प्राधिकरण स्तर पर होती है जांच
संबधित विभाग द्वारा केस की जांच की जाती है। कुछ मामलों में फाइल को सीईओ स्तर या बोर्ड मीटिंग में रखा जाता है। ताकि उस पर बोर्ड निर्णय ले सके। उसके बाद शर्तों के साथ रिस्टोरेशन मंजूरी मिलने पर प्लॉट को शर्तों के साथ रिस्टोर किया जाता है, जैसे तय समय में निर्माण पूरा करना, भविष्य में कोई डिफॉल्ट न करना, नियमों का पालन करना आदि। इतना ही नही कोर्ट केस में भी मिल सकती है आवंटी को राहत। कई मामलों में आवंटियों ने हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहाँ से प्राधिकरणों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश मिले। विशेषकर जब पहली बार डिफॉल्ट हो बीमारी या आर्थिक मजबूरी हो, कोविड जैसे असाधारण हालात आदि को आधार मानकर राहत दी गई है।

क्या कहते हैं प्राधिकरण अधिकारी
प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि,“जो आवंटी गंभीरता से प्लॉट रिस्टोर कराना चाहते हैं और बकाया जमा करने को तैयार हैं, उनके मामलों पर नियमानुसार सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाता है।” ज्यादातर नियम तीनों प्राधिकरणों के एक जैसे ही है।

आवंटियों को सर्तक रहने की जरूरत
नोटिस को नजरअंदाज न करें
समय रहते आवेदन करें
बिचैलियों से बचें
सभी भुगतान केवल प्राधिकरण के अधिकृत माध्यम से करें
दरअसल, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में कैंसिल प्लॉट का रिस्टोरेशन संभव है, बशर्ते आवंटी नियमों के अनुसार आवेदन करे और बकाया राशि जमा करने को तैयार हो। सही प्रक्रिया अपनाकर कई आवंटी अपने सपनों का प्लॉट दोबारा हासिल कर चुके हैं।

 

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