मार्केट रिसर्च फर्मों के अनुसार, 2025 में भारत में iPhone की शिपमेंट 14-15 मिलियन यूनिट्स तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले साल से 20-25% ज्यादा है। रेवेन्यू की बात करें तो Apple भारत में 12 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा की बिक्री कर सकता है। प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट में Apple की वैल्यू शेयर 28-30% तक पहुंच गई है, जबकि कुल मार्केट शेयर 8-9% के करीब है।
EMI और लोन ने बदला खेल
रिपोर्ट्स बताती हैं कि जनवरी-अगस्त 2025 के बीच हर चार iPhone खरीदारों में से एक (25%) ने क्रेडिट कार्ड EMI, NBFC लोन या कैशबैक स्कीम्स का इस्तेमाल किया। Croma जैसे रिटेलर्स के डेटा से पता चलता है कि फेस्टिव सीजन में यह ट्रेंड और बढ़ा। 24 महीने की नो-कॉस्ट EMI, पुराने फोन के एक्सचेंज पर डिस्काउंट और बैंक पार्टनरशिप्स ने मिडिल क्लास को iPhone की ओर खींचा है।
हालांकि ज्यादातर बिक्री (75%) अभी मेट्रो सिटीज जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से आ रही है, लेकिन टियर-2/3 शहरों का योगदान एक तिहाई से ज्यादा हो गया है। यहां लोग पहले एंड्रॉयड फोन लेते थे, लेकिन अब EMI पर iPhone 15, 16 या 17 सीरीज चुन रहे हैं। कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि छोटे व्यापारी, रेहड़ी-पटरी वाले और मिडिल क्लास फैमिलीज भी लोन लेकर iPhone ले रहे हैं, क्योंकि यह ‘एस्पिरेशनल’ प्रोडक्ट बन गया है।
फेस्टिव सीजन में धमाका
iPhone 17 सीरीज की लॉन्चिंग ने बिक्री को और बूस्ट दिया। फेस्टिव क्वार्टर (जुलाई-सितंबर 2025) में Apple ने रिकॉर्ड 5 मिलियन यूनिट्स शिप कीं। पुरानी सीरीज (iPhone 15/16) पर भारी डिस्काउंट्स और नए मॉडल्स की डिमांड से प्रीमियम सेगमेंट 29% तक बढ़ा। लोकल मैन्युफैक्चरिंग की वजह से ‘मेड इन इंडिया’ iPhone 17 दिन 1 से उपलब्ध हुए, जिससे कीमतें कंट्रोल में रहीं।
Apple की भारत स्ट्रैटजी काम कर रही है – नए स्टोर्स खोलना, लोकल प्रोडक्शन बढ़ाना और फाइनेंसिंग आसान करना। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि ज्यादा EMI पर निर्भरता से कर्ज का बोझ बढ़ सकता है, खासकर जब सेविंग्स रेट कम हो रही हो।
फिर भी, 2025 Apple के लिए भारत में गोल्डन ईयर साबित हो रहा है। छोटे शहरों तक iPhone की पहुंच दिखाती है कि भारतीय कंज्यूमर अब प्रीमियम की ओर तेजी से शिफ्ट कर रहा है।

