Breaking News: नई दिल्ली: कांग्रेस ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यदि यह कदम 20 महीने पहले उठा लिया गया होता, तो राज्य में हिंसा को टाला जा सकता था और हजारों लोगों को विस्थापन से बचाया जा सकता था। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पिछले 20 महीनों से लगातार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही थी, जो अब जाकर लागू किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की लापरवाही के कारण राज्य को इतनी बड़ी त्रासदी झेलनी पड़ी।
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कांग्रेस के मुख्य आरोप:
📌 संवैधानिक तंत्र ठप – सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के पूरी तरह विफल होने की बात कही।
📌 भारी हिंसा और विस्थापन – 3 मई 2023 से अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 से अधिक लोग बेघर हो गए।
📌 राजनीतिक विफलता – 2022 में भाजपा को बहुमत मिलने के बावजूद, सरकार 15 महीनों के भीतर स्थिति बिगाड़ने में नाकाम रही।
📌 गृह मंत्रालय की नाकामी – गृह मंत्री अमित शाह राज्य में शांति बहाल करने में विफल रहे, जबकि प्रधानमंत्री ने यह जिम्मेदारी उन्हें सौंपी थी।
📌 प्रधानमंत्री की उदासीनता – कांग्रेस ने कहा कि दुनिया भर में यात्राएं करने वाले प्रधानमंत्री मणिपुर जाकर समाधान निकालने को तैयार नहीं थे।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि यह फैसला पहले लिया गया होता, तो राज्य की सामाजिक एकता को बिखरने से रोका जा सकता था।