Breaking News: सबसे पहले एसबीआई (SBI) ने मार्च 2020 में बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता और उससे लगनेवाले जुर्माने को हटा दिया। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), इंडियन बैंक, और केनरा बैंक ने भी अपने बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने की स्थिति में लगने वाले जुर्माने को समाप्त कर दिया है। यह कदम वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और ग्राहकों, विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों, महिलाओं, और किसानों के लिए और साथ ही साथ बैंकिंग को अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
PNB ने 1 जुलाई, 2025 से अपने सभी बचत खातों में न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) पर जुर्माना हटा दिया था।
– इंडियन बैंक ने 7 जुलाई, 2025 से सभी बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस पर जुर्माना हटाने की घोषणा कर दी है।
केनरा बैंक ने 31 मई, 2025 से सभी प्रकार के बचत खातों (जैसे घरेलू, एनआरआई, और वेतन खाते) पर न्यूनतम बैलेंस की शर्त हटा दी।
यह कदम वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा और बैंकों में CASA (चालू और बचत खाता) जमा के घटते अनुपात को देखते हुए उठाया गया है। इससे ग्राहकों को वित्तीय दबाव से राहत मिलेगी और बैंकिंग सेवाएं अधिक समावेशी होंगी।
निजी बैंकों में न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता आमतौर पर अधिक होती है, लेकिन कुछ खातों (जैसे वेतन खाते या उच्च ‘रिलेशनशिप वैल्यू’ वाले खाते) पर यह छूट दी जाती है। अभी तक HDFC, ICICI, या Axis जैसे प्रमुख निजी बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस जुर्माना हटाने की व्यापक घोषणा नहीं की है।
सरकारी और निजी बैंक भी जल्द ही इस तरह की राहत दे सकते हैं, खासकर ग्राहकों की मांग और वित्तीय समावेशन के दबाव को देखते हुए। हालांकि, निजी बैंकों के लिए यह नीति लागू करना उनकी आय मॉडल पर निर्भर करेगा, क्योंकि वे न्यूनतम बैलेंस शुल्क से महत्वपूर्ण आय प्राप्त करते हैं।

