अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) सभी 543 सांसदों से मुलाकात करेगी. सभी सांसदों से मुलाकात कर राम मंदिर के निर्माण को लेकर कानून बनाने पर समर्थन मांगा जाएगा. विश्व हिंदू परिषद चाहती है कि आगामी शीतकालीन सत्र में इस पर सांसदों के समर्थन से कानून पास किया जाए. इसके लिए वीएचपी ने 25 नवंबर से 9 दिसंबर तक का समय निर्धारित किया है.
जानकारी के अनुसार, 11 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है. इसमें कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. इसी बीच विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर अध्यादेश लाने और कानून बनाने की मांग तेज कर दी है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद सहित तमाम दक्षिणपंथी संगठनों ने राम मंदिर निर्माण के लिए जोर लगाना तेज कर दिया है. संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में 9 दिसंबर को एक विशाल रैली भी बुलाई गई है. इस रैली में आठ लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत भी शामिल होंगे. अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मेगा रैली में आरएसएस के सभी बड़े नेता पहुंचेंगे.
अखिल भारतीय संत समिति की तरफ से आयोजित इस मेगा रैली के जरिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता बनाने की मांग की जाएगी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद जमीन विवाद से जुड़े केस की सुनवाई अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते के लिए स्थगित कर दी है. कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को उचित बेंच के हवाले करेगी और वहीं बेंच इस केस की तारीख पर फैसला लेगी. सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद से ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संसद से कानून बनाने की मांग तेज होती दिख रही है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 25 नवंबर को अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरु में जनाग्रह रैली निकालने का फैसला किया है. इस रैली का मकसद अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए जनता का समर्थन जुटाना होगा. आरएसएस ने रैली निकालने का फैसला ऐसे वक्त में किया है जब सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि जमीन विवाद पर सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है.
आरएसएस के अंबरीश कुमार ने मीडिया को बताया कि इस रैली में पांच से 10 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि इस रैली में शामिल होने वाले लोगों से राम मंदिर निर्माण को लेकर राय मांगी जाएगी.
बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं लगाई गई हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित जमीन को निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई को जनवरी तक के लिए टाल दिया है.