युवाओं में बढ रही बीपी की बीमारी, सबसे ज्यादा जिम्मेदार लाइफ स्टाल और ये भी है कारण…

Noida News । हाइपरटेंशन अब केवल उम्रदराज लोगों की बीमारी नहीं रह गई है। यह युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। बदलती जीवनशैली, मानसिक तनाव और अनियमित दिनचर्या इसके पीछे प्रमुख कारण हैं। इससे बचाव का एक ही एकमात्र उपाय है वह समय पर जांच, संतुलित जीवनशैली और जागरूकता।
फेलिक्स अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल अरोडा ने बताया कि हाइपरटेंशन, जिसे सामान्य भाषा में उच्च रक्तचाप कहा जाता है।

हाइपरटेंशन के लक्षणों के नजरअंदाज से जानलेवा बन सकता है घातक मौन

एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें व्यक्ति के रक्त का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है। यह आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए एक ‘साइलेंट किलर’ बन चुका है क्योंकि यह बिना लक्षणों के शरीर को अंदर से धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 1.28 अरब लोग हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं, जिनमें से आधे को यह पता भी नहीं होता। हृदय जब रक्त को शरीर में पंप करता है तो रक्त की धमनियों पर एक दबाव पड़ता है। जब यह दबाव लगातार 140/90 एमएमएचजी या इससे ऊपर बना रहता है, तो इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है। यदि यह 180/120 एमएमएचजी या उससे अधिक हो, तो स्थिति बेहद गंभीर मानी जाती है। हाइपरटेंशन दो प्रकार का होता है। प्राथमिक हाइपरटेंशन अधिकतर मामलों में पाया जाता है और इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं होता माध्यमिक हाइपरटेंशन किसी अन्य बीमारी जैसे किडनी रोग, थायरॉइड, हार्मोन असंतुलन या कुछ दवाओं के कारण होता है। इसका मुख्य कारण अस्वस्थ जीवनशैली यानी अत्यधिक नमक सेवन, तली-भुनी चीजें, शराब और धूम्रपान का सेवन है। मोटापा व शारीरिक निष्क्रियता, मानसिक तनाव, वंशानुगत कारण,  उम्र बढ़ने के साथ धमनियों में लचीलापन कम होना भी हाइपरटेंशन बढ़ाता है। अधिकतर मामलों में हाइपरटेंशन के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।  हाइपरटेंशन का इलाज जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के संयोजन से किया जाता है।
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