Bollywood News: बॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक सुनील दर्शन ने हाल ही में एक सनसनीखेज खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने अभिनेता सनी देओल के साथ अपने काम के अनुभव को अपने जीवन और करियर का “सबसे अंधेरा अध्याय” करार दिया। एक इंटरव्यू में सुनील ने सनी के साथ अपने तल्ख रिश्तों और कानूनी विवादों पर खुलकर बात की, जिसमें उन्होंने सनी पर भावनात्मक छल और वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
सुनील दर्शन, जिन्होंने ‘जानवर’, ‘मेला’, और ‘अंदाज़’ जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई, ने पत्रकार विकी लालवानी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि सनी देओल के साथ काम करना “एक छोटे बच्चे को मनाने जैसा” था। उन्होंने कहा, “सनी देओल मेरे जीवन और करियर का सबसे काला अध्याय हैं, लेकिन ऊपर भगवान है। मुझे विश्वास है कि एक दिन इंसाफ होगा।”
सुनील ने सनी के साथ अपनी पहली फिल्म ‘इंतकाम’ (1988) के समय को याद करते हुए कहा कि तब सनी कोई बड़े सितारे नहीं थे, लेकिन उनमें स्टारडम की संभावना थी। उन्होंने सनी की कई फिल्मों को डिस्ट्रीब्यूट भी किया था। हालांकि, उनकी दूसरी फिल्म ‘लुटेरे’ (1993) के दौरान सुनील को सनी के व्यवहार में कुछ खामियां नजर आईं। तीसरी फिल्म ‘अजय’ (1996) के दौरान तो अनुभव “बुरे सपने” जैसा हो गया। सुनील ने बताया, “यह एक महंगा अनुभव था। सनी के साथ काम करना ऐसा था जैसे किसी छोटे बच्चे को मनाकर काम पूरा करवाना। मैं चौथी फिल्म उनके साथ नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं फंस गया।”
सुनील ने यह भी खुलासा किया कि सनी ने एक ऐसी फिल्म के लिए उनसे पैसे लिए, जो कभी बनी ही नहीं। इसके अलावा, 1996 में रिलीज हुई फिल्म ‘अजय’ के वितरण अधिकारों को लेकर भी सनी पर पैसे नहीं लौटाने का आरोप है। सुनील ने बताया कि सनी ने लंदन से पैसे लौटाने का वादा किया था, लेकिन वह वादा पूरा नहीं हुआ। इस विवाद ने दोनों के बीच 27 साल पुरानी कानूनी लड़ाई को जन्म दिया, जो आज भी मुंबई की अदालतों में चल रही है। सुनील का दावा है कि सनी उन्हें 1.77 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं।
सुनील ने सनी के भाई बॉबी देओल के साथ अपने अच्छे अनुभव का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने बॉबी के साथ तीन फिल्में कीं और उन्हें कोई शिकायत नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने सनी के पिता और दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के बारे में कुछ भी बुरा कहने से इनकार किया।
सुनील ने यह भी बताया कि उनकी फिल्म ‘जानवर’ (1999) मूल रूप से सनी देओल के लिए लिखी गई थी, लेकिन उनके बीच हुए मतभेदों के कारण यह फिल्म अक्षय कुमार को मिली। इस फिल्म ने अक्षय के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। सुनील ने अक्षय की तारीफ करते हुए कहा, “अक्षय कोई बुरे इंसान नहीं हैं। उन्हें बहुत बदनाम किया गया है, लेकिन उनकी खूबियां नकार नहीं सकते।”

