एनआईए ने रविवार (16 नवंबर) को जम्मू-कश्मीर के पंपोर के सम्बूरा निवासी अमीर राशिद अली को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी के अनुसार, अली उन डॉक्टर उमर उन नबी के करीबी सहयोगी थे, जो कथित तौर पर विस्फोट से भरी कार को चला रहे थे। यह कार एक वाहन-जनित आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के रूप में इस्तेमाल की गई थी। विस्फोट के समय कार ह्यूंडई i20 थी, जो अली के नाम पर रजिस्टर्ड थी। एनआईए ने बताया कि अली ने दिल्ली आकर इस कार की खरीदारी में सहायता की थी और हमले की साजिश रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
फोरेंसिक जांच में पुष्टि हुई है कि कार चला रहे व्यक्ति की पहचान उमर उन नबी के रूप में हुई, जो फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी में जनरल मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर थे। नबी पुलवामा जिले के निवासी थे और कथित तौर पर सुसाइड बॉम्बर थे। एनआईए ने नबी की एक अन्य कार भी जब्त की है, जिसकी जांच चल रही है। एजेंसी ने अब तक 73 गवाहों से पूछताछ की है और बड़े साजिश के तारों को खोलने के लिए कई लीड्स पर काम कर रही है।
इस मामले में पहले ही तीन डॉक्टरों—मुजम्मिल अहमद गनाई, आदिल अहमद रदर और अन्य—को गिरफ्तार किया जा चुका है, जो कथित रूप से जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद जैसे संगठनों से जुड़े ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का हिस्सा थे। अक्टूबर में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कश्मीर में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किए गए थे, जो इस साजिश से जुड़े पाए गए। विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट और ट्राइएसिटोन ट्राइपेरोक्साइड (टीएटीपी) जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल हुआ था, जो वैश्विक आतंकी संगठनों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
केंद्र सरकार ने इस घटना को ‘राष्ट्र-विरोधी ताकतों द्वारा किया गया कायरतापूर्ण हमला’ करार दिया है और आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति दोहराई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने इसे ‘घिनौना आतंकी कृत्य’ बताते हुए सख्त कार्रवाई का ऐलान किया। हालांकि, पाकिस्तान का नाम सीधे न लेते हुए जांच जारी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पार से प्रायोजित यह साजिश कश्मीर में बदलाव के बाद पाकिस्तान की हताशा का नतीजा हो सकती है।
पटियाला हाउस कोर्ट में अली की पेशी के दौरान सुरक्षा चाक-चौबंद रखी गई है। दिल्ली पुलिस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर एनआईए पूरे इलाके की निगरानी कर रही है।
सोशल मीडिया पर भी इस गिरफ्तारी को लेकर बहस छिड़ी हुई है, जहां कुछ यूजर्स इसे ‘इस्लामी जिहाद का चरम’ बता रहे हैं, तो अन्य इसे राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा मान रहे हैं।
एनआईए की जांच से यह साफ हो रहा है कि शिक्षित और पेशेवर लोगों के जरिए बुनी जा रही यह साजिश देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। एजेंसी ने कहा है कि साजिश के अन्य सदस्यों की पहचान जल्द ही हो जाएगी और उन्हें सख्त सजा दी जाएगी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है, और सरकार ने आतंक के खिलाफ अभियान को और तेज करने का संकल्प जताया है।

