क्यों लिया गया यह फैसला?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बयान जारी कर कहा कि BLA और मजीद ब्रिगेड ने हाल के वर्षों में कई बड़े आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है। इनमें 2024 में कराची हवाई अड्डे के पास और ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स पर आत्मघाती हमले शामिल हैं। इसके अलावा, मार्च 2025 में BLA ने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक किया था, जिसमें 31 लोग मारे गए और 300 से अधिक यात्रियों को बंधक बनाया गया। रुबियो ने इस कार्रवाई को ट्रंप प्रशासन की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का हिस्सा बताया, जिसका उद्देश्य इन संगठनों की फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति को रोकना है।
BLA और मजीद ब्रिगेड का इतिहास
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में दशकों से सक्रिय एक अलगाववादी संगठन है, जो प्रांत की स्वतंत्रता की मांग करता है। यह संगठन पाकिस्तान सरकार पर प्रांत के तेल और खनिज संसाधनों के शोषण का आरोप लगाता है, जबकि स्थानीय बलूच समुदाय को गरीबी और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। मजीद ब्रिगेड, BLA का एक आत्मघाती हमलावर विंग है, जिसने चीनी दूतावास, ग्वादर बंदरगाह, और कराची स्टॉक एक्सचेंज जैसे हाई-प्रोफाइल ठिकानों पर हमले किए हैं।
पाक सेना प्रमुख का दौरा और इसका प्रभाव
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने पिछले दो महीनों में दूसरी बार अमेरिका का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बलूच विद्रोहियों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की मांग की थी। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान को खुश करने और दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से बलूच आंदोलन पर मनोवैज्ञानिक और वित्तीय दबाव बढ़ेगा, लेकिन यह संगठन के हमलों को और उग्र भी कर सकता है।
FTO घोषणा के परिणाम
FTO घोषित होने के बाद BLA और मजीद ब्रिगेड की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। अमेरिकी नागरिकों और संस्थानों को इन संगठनों के साथ किसी भी तरह का लेन-देन करने की मनाही होगी। इसके अलावा, यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन संगठनों के नेटवर्क को कमजोर करने में मदद करेगा।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
यह कदम न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। BLA की गतिविधियां न केवल पाकिस्तानी सुरक्षा बलों, बल्कि क्षेत्र में चीनी हितों को भी निशाना बनाती रही हैं, खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजनाओं को। इस घोषणा से पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि यह कदम बलूचिस्तान में राजनीतिक समाधान की संभावनाओं को कमजोर कर सकता है, क्योंकि BLA के समर्थक इसे बलूच समुदाय के खिलाफ दमन के रूप में देख रहे हैं। दूसरी ओर, हाल ही में अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को भी FTO घोषित किया था, जिससे भारत में आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
अमेरिका का यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव बलूचिस्तान के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर निर्भर करेंगे। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ता सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक हो सकता है, लेकिन यह भी जरूरी है कि बलूचिस्तान के मूल मुद्दों का समाधान बातचीत और विकास के जरिए किया जाए।

