कयामुद्दीन अंसारी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ, जहां उनके पिता और मां बीड़ी बनाने का काम करते थे। वे 35 वर्षों से वामपंथी राजनीति में सक्रिय हैं और गरीबों, किसानों तथा भूमिहीनों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की है, लेकिन एलएलबी पूरी नहीं कर सके क्योंकि राजनीतिक गतिविधियां उनकी प्राथमिकता बन गईं। अंसारी का कहना है कि उनकी चुनावी मुहिम पूरी तरह जनता पर निर्भर है – लोग उन्हें खाना, पानी और छोटी-छोटी रकम (जैसे 20, 25 या 50 रुपये) दान करते हैं। उनकी पत्नी आंगनवाड़ी सहायिका हैं, जो घर चलाने में मदद करती हैं।
एक साक्षात्कार में अंसारी ने कहा, “मेरे पास धनबल या बाहुबल नहीं है, लेकिन जनता का प्यार और संकल्प है। BJP के पास हेलीकॉप्टर, स्टार प्रचारक जैसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं, लेकिन वे जनता की ताकत से नहीं जीत सकते।” उन्होंने आरा में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर जोर दिया – जैसे सड़कों का खराब होना, साफ पानी की कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था का चरमराना। अंसारी ने BJP पर आरोप लगाया कि वे 2000 से 2025 तक पांच बार विधायक रहने के बावजूद विकास नहीं कर सके और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई और युवाओं को रोजगार की मांग को प्रमुख मुद्दा बताया।
पिछले चुनाव में अंसारी ने BJP उम्मीदवार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और मात्र 3 हजार वोटों से हार गए थे। इस बार वे दावा कर रहे हैं कि NDA को करारी शिकस्त मिलेगी, क्योंकि जनता ‘खजाना चोरों, वोट चोरों और नौकरी चोरों’ से तंग आ चुकी है।
CPI(ML) ने बिहार चुनाव के लिए 20 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें अंसारी को आरा से टिकट दिया गया है।
सोशल मीडिया पर यह मुद्दा वायरल हो रहा है। एक चैनल पर साझा किए गए एक वीडियो में अंसारी की बातचीत को दिखाया गया है, जहां वे अपनी सादगी और जन-समर्थन पर जोर देते नजर आते हैं। यह चुनाव बिहार में बदलाव की लहर ला सकता है, जहां वामपंथी दल गरीबी और भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दों पर जोर दे रहे हैं।

