बिहार विधानसभा चुनाव 2025: ‘राजनीति में झाल बजाने नहीं आए हैं’, शरद यादव के बेटे शांतनु ने लालू-तेजस्वी साधा निशाना

Bihar Assembly Election News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच एक बड़ा विवाद सामने आया है। दिवंगत समाजवादी नेता शरद यादव के बेटे शांतनु यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से मधेपुरा विधानसभा सीट का टिकट न मिलने पर पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर विश्वासघात का आरोप लगाया है। शांतनु ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वे राजनीति में सिर्फ ताली बजाने या सहयोगी की भूमिका निभाने नहीं आए हैं, बल्कि अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

टिकट न मिलने से उपजा गुस्सा
शांतनु यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, जो उनके पिता शरद यादव का पारंपरिक क्षेत्र रहा है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2024 में भी उन्हें टिकट देने का वादा किया गया था, लेकिन आखिरी समय में नाम वापस ले लिया गया। अब विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ, जिसे उन्होंने राजनीतिक षड्यंत्र बताया। एक वीडियो संदेश में शांतनु ने कहा, “राजनीति में हम झाल बजाने नहीं आए हैं। मुझे भी अपने पिता का नाम और उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है। मेरा विरोध सिर्फ आवाज उठाना नहीं, बल्कि जिंदा होने और अपने हक के लिए डटे रहने का सबूत है।” उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता ने अपनी पार्टी का आरजेडी में विलय इसलिए किया था ताकि विपक्ष मजबूत हो और शांतनु को राजनीतिक मंच मिले, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

शांतनु की बहन सुभाषिनी यादव ने भी आरजेडी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “भाई शांतनु को टिकट नहीं मिलने पर… जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या सगे होंगे। जो अपने ही परिवार के वफादार नहीं, वो किसी और के लिए कैसे भरोसेमंद हो सकते हैं? ये विश्वासघात की पराकाष्ठा और उनकी असहजता का उत्कृष्ट उदाहरण है जो षड्यंत्र इन्होंने रचा है।” सुभाषिनी ने इसे आरजेडी की वफादारी की कमी का प्रतीक बताया और कहा कि जनता अब इसके खिलाफ खड़ी होगी।

पृष्ठभूमि: शरद यादव की पार्टी का विलय
2022 में शरद यादव ने अपनी लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी का आरजेडी में विलय कर दिया था। इसका मुख्य उद्देश्य विपक्षी एकता को मजबूत करना था। शरद यादव बीमार थे और उन्होंने इच्छा जताई थी कि उनका बेटा शांतनु उनकी राजनीतिक विरासत संभाले। विलय के समय तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन को युवा नेतृत्व की मजबूती के रूप में देखा गया। शांतनु ने बताया कि लालू प्रसाद ने उन्हें पिता तुल्य माना और विधानसभा चुनाव की सलाह दी, जबकि शरद यादव हमेशा लोकसभा से लड़ते रहे। हालांकि, टिकट न मिलने से परिवार में गहरा असंतोष है।

आरजेडी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं
आरजेडी ने अब तक शांतनु के आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। मधेपुरा सीट पर टिकट किसी अन्य उम्मीदवार को दिया गया है, जिससे महागठबंधन में दरार की आशंका जताई जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बिहार चुनाव में टिकट वितरण से जुड़े असंतोष को और बढ़ा सकती है। शांतनु ने स्पष्ट किया कि वे राजनीति से पीछे नहीं हटेंगे और अपने समर्थकों के साथ आगे का फैसला लेंगे।

यह विवाद बिहार की राजनीति में समाजवादी विरासत और परिवारवाद के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला रहा है। चुनाव के पहले चरण के नामांकन के आखिरी दिनों में ऐसे बयान महागठबंधन की एकता पर सवाल उठा रहे हैं।

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