आरजेडी ने हाल ही में 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने अनुसूचित जाति (एससी) के 20, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 1 और 24 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। हालांकि, गठबंधन में दरार के चलते आरजेडी ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जहां अन्य सहयोगी दलों ने भी दावेदारी ठोकी है।
कांग्रेस ने भी देर रात तक अपनी सूची अपडेट करते हुए कुल 61 उम्मीदवारों की घोषणा की है। पार्टी ने सात और नाम जोड़े, लेकिन सीट बंटवारे की अनिश्चितता के बीच यह कदम उठाया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच बातचीत जारी है, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है।
वामपंथी दल भी पीछे नहीं हैं। सीपीआई(एमएल) लिबरेशन ने 20 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें 12 मौजूदा विधायक शामिल हैं। सीपीआई ने 9, सीपीएम ने 4 और विकसशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने 15 उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा, इंडियन इनक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) ने 2 सीटों पर दावेदारी की है। इन सबको जोड़ें तो कुल घोषित उम्मीदवारों की संख्या 255 के करीब पहुंच जाती है, जबकि विधानसभा में सिर्फ 243 सीटें हैं।
यह अतिरिक्त घोषणाएं सीट बंटवारे के विवाद से उपजी हैं। महागठबंधन के नेताओं का दावा है कि ‘फ्रेंडली फाइट’ के जरिए वे एनडीए को चुनौती देंगे, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने महागठबंधन से अलग होने का ऐलान किया, जिससे विपक्ष को और झटका लगा है।
चुनाव दो चरणों में होने वाले हैं – 6 नवंबर और 11 नवंबर को। नामांकन की आखिरी तारीख गुजर चुकी है, लेकिन गठबंधन में डैमेज कंट्रोल की कोशिशें जारी हैं। कुछ सीटों पर उम्मीदवारों ने नाम वापस लेने का फैसला किया है, लेकिन कई जगहों पर सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं।
आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या विपक्षी गठबंधन इस संकट से उबर पाता है या चुनावी मैदान में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

