Bihar Assembly Elections 2025 News: बिहार की राजनीति हमेशा से ही गठबंधनों की लहरों और जातिगत समीकरणों की बाजीगरी का मैदान रही है। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को तारीखों का ऐलान कर दिया है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को, दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। 243 सीटों वाली इस जंग में एनडीए (बीजेपी+जेडीयू) और महागठबंधन (आरजेडी+कांग्रेस) के बीच कांटे की टक्कर तय है। लेकिन सवाल यह है कि सियासी दलों की असल ताकत क्या है? पिछले पांच चुनावों के आंकड़ों से साफ झलकता है कि नीतीश कुमार की जेडीयू का उत्थान, लालू यादव का पतन और तेजस्वी यादव का उभार बिहार की सियासत को नया रंग दे रहा है।
पिछले चुनावों की झलक: आंकड़ों से समझें पार्टियों की स्थिति
बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि सत्ता का संतुलन बार-बार बदलता रहा है। 2009 से 2020 तक के प्रमुख चुनावों पर नजर डालें तो जेडीयू और आरजेडी के बीच मुकाबला हमेशा रोमांचक रहा, जबकि बीजेपी ने गठबंधनों के दम पर मजबूती हासिल की। कांग्रेस की स्थिति कमजोर बनी हुई है।
यहां संक्षिप्त नजर:
• 2009 लोकसभा चुनाव: जेडीयू ने 20 सीटें जीतीं (28.54% वोट शेयर), बीजेपी को 12 (14.56%), आरजेडी को 4 (25.72%) और कांग्रेस को 2 (8.61%)। नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू का दबदबा साफ दिखा।
• 2010 विधानसभा चुनाव: जेडीयू का सुनहरा दौर—115 सीटें (22.59% वोट), बीजेपी को 91 (23.55%), आरजेडी को 25 (20.12%) और कांग्रेस को 9 (5.78%)। महादलित और अत्यंत पिछड़ी जातियों (ईबीसी) के वोटों ने नीतीश को मजबूत बनाया।
• 2014 लोकसभा चुनाव: मोदी लहर में बीजेपी अव्वल—31 सीटें (38.22% वोट), जेडीयू को महज 2 (15.82%), आरजेडी को 4 (20.54%) और कांग्रेस को 1 (7.98%)। जेडीयू को बड़ा झटका लगा।
• 2015 विधानसभा चुनाव: महागठबंधन की वापसी—आरजेडी को 80 सीटें (18.42% वोट), जेडीयू को 71 (17.62%), बीजेपी को 53 (24.49%) और कांग्रेस को 27 (7.82%)। लालू-नीतीश की जोड़ी ने बीजेपी को पटखनी दी।
• 2019 लोकसभा चुनाव: फिर एनडीए का जलवा—बीजेपी को 17 सीटें (23.58% वोट), जेडीयू को 16 (21.81%), आरजेडी को शून्य (15.68%) और कांग्रेस को 1 (7.91%)।
• 2020 विधानसभा चुनाव: एनडीए की जीत—बीजेपी को 74 सीटें (19.20% वोट), जेडीयू को 43 (15.68%), आरजेडी को 75 (23.11%) और कांग्रेस को 1 (2.90%)। तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी ने मुस्लिम-यादव गठजोड़ को मजबूत किया।
इन आंकड़ों से साफ है कि जेडीयू का ग्राफ 2010 में चरम पर पहुंचा, लेकिन गठबंधन बदलने से उतार-चढ़ाव आया। आरजेडी का वोट शेयर स्थिर (20% के आसपास) रहा, लेकिन सीटें तेजस्वी के नेतृत्व में बढ़ीं। बीजेपी ने राष्ट्रीय लहर का फायदा उठाया, जबकि कांग्रेस का प्रभाव घटता गया।
प्रमुख रुझान: नीतीश का उदय, लालू का पतन और तेजस्वी का उभार
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर बिहार के उतार-चढ़ाव का आईना है। 2010 की भारी जीत के बाद उन्होंने ईबीसी (18%) और महादलित (16%) वोटबैंकों को एकजुट किया, लेकिन बार-बार गठबंधन तोड़ने-जोड़ने से उनकी छवि ‘पलटू राम’ की बनी। 2024 में फिर एनडीए में लौटने के बाद जेडीयू मजबूत दिख रही है। वहीं, लालू प्रसाद यादव का पतन 1990 के दशक के बाद शुरू हुआ—चारा घोटाले जैसी कानूनी परेशानियों ने आरजेडी को कमजोर किया। फिर भी, मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण ने पार्टी को जिंदा रखा।
तेजस्वी यादव अब आरजेडी के चेहरे हैं। 2020 में 75 सीटें दिलाने वाले युवा नेता युवाओं और महिलाओं में लोकप्रिय हैं। सामाजिक मुद्दों—जैसे रोजगार और महिला सुरक्षा—पर फोकस से वे ईबीसी वोटों पर भी नजर गाड़े हुए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अगर तेजस्वी गति बनाए रखें, तो महागठबंधन एनडीए को कड़ी टक्कर दे सकता है।
वर्तमान गठबंधन और 2025 की दौड़
फिलहाल एनडीए (बीजेपी+जेडीयू) सत्ता में है, लेकिन सीट बंटवारे पर अभी सहमति बन रही है। महागठबंधन में आरजेडी-कांग्रेस के अलावा वाम दलों की भूमिका भी अहम। एक नया फैक्टर है प्रशांत किशोर, जो अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। वे बिहार की सियासत में ‘एक्स फैक्टर’ साबित हो सकते हैं।
चुनाव आयोग के ऐलान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक चल रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में मतदाता सूची पर सुनवाई हो रही है। विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) पर बहस के बीच, एनडीए दावा कर रहा है कि विकास के मुद्दे पर जीत हासिल करेगा, वहीं महागठबंधन जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय पर जोर दे रहा है।
भविष्य की भविष्यवाणी: कांटे की टक्कर
विशेषज्ञों के मुताबिक, 2025 का चुनाव करीबी होगा। एनडीए को हल्की बढ़त है, लेकिन तेजस्वी का युवा अपील और प्रशांत किशोर का हस्तक्षेप समीकरण बदल सकता है। बिहार के 7.3 करोड़ वोटर फैसला करेंगे कि सत्ता का सूरज नीतीश पर चमकेगा या तेजस्वी पर उगेगा। सियासत की यह जंग न सिर्फ बिहार, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करेगी।

