शाहबेरी में बड़ी कार्रवाई: 48 दुकानों एवं 2 ऑफिस किए ध्वस्त, जानिए क्यो चला बुलडोजर
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शाहबेरी में बड़ी कार्रवाई: 48 दुकानों एवं 2 ऑफिस किए ध्वस्त, जानिए क्यो चला बुलडोजर

Greater Noida:  शाहबेरी गांव में शत्रु संपत्ति की 10950 वर्गमीटर जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने का अभियान  आज से शुरू हो गया। पहले दिन  प्रशासन ने  शत्रु संपत्ति पर बनी  150 दुकानों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू करते हुए 48 दुकानों और दो ऑफिस को ध्वस्त कर दिया। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के निर्देशन में अपर जिलाधिकारी प्रशासन मंगलेश दुबे एवं उप जिलाधिकारी दादरी अनुज नेहरा द्वारा राजस्व विभाग की टीम के साथ ग्राम शाहबेरी की खसरा संख्या 187 शत्रु संपत्ति पर निर्मित 48 दुकानों एवं 02 आॅफिस पर दो जेसीबी मशीन के माध्यम से पुलिस बल की उपस्थिति में ध्वस्तीकरण कराया गया  जबकि  एवं बाकी 100 दुकानों पर इसी प्रकार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई  जायेगी। इस दौरान तहसीलदार ओमप्रकाश पासवान क्षेत्रीय लेखपाल दर्शन सिंह तथा पुलिस बल उपस्थित रहा। गौरतलब है कि  जिला प्रशासन द्वारा  28 अगस्त तक अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश जारी होने के बाद राजस्व टीम ने एक सप्ताह पूर्व    सार्वजनिक नोटिस चस्पा कर अवैध निर्माण हटाने के लिए सात दिनों का समय दिया।  लेकिन समयसीमा पूरा होने के बाद भी शाहबेरी से निर्माण नहीं हटाया गया।   जानकारी के मुताबिक  शाहबेरी के खसरा नंबर 13, 30, 125 और 187 में शत्रु संपत्ति है। खसरा नंबर 197 में 8790 वर्गमीटर जमीन है। इस पर करीब 148 दुकानें बनी हुई है। मार्च 2023 में प्रशासन ने 96 दुकानों को सील भी कर दिया था। खसरा नंबर 13 की 1520 वर्गमीटर जमीन पर चार भवन निर्मित हैं। खसरा नंबर 30 में 250 वर्गमीटर और 125 में 390 वर्गमीटर में भी अवैध कब्जा है।
कई बार खरीद-फरोख्त हो चुकी आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक  शाहबेरी गांव में खसरा नंबर 13, 30, 68, 69, 124, 125, 186, 187 और 205 में करीब 10 हजार वर्गमीटर से अधिक की शत्रु संपत्ति हैं। इनमें 6 खसरा नंबरों की जमीन पर अवैध निर्माण हो चुका है। तहसील प्रशासन ने   वर्तमान जमीन की  कीमत का आकलन कर रिपोर्ट कस्टोडियन को भी भेजी जा चुकी है।  बताया गया कि खसरा नंबर 187 की जमीन का मालिक पाकिस्तान चला गया था। करीब 20 वर्ष पूर्व वो भारत आया और जमीन बेचकर चला गया। इसके बाद भी जमीन की कई बार खरीद-फरोख्त हो चुकी है, जिसके चलते लोग अब उक्त जमीन पर मालिकाना हक होने का दावा करते हैं, लेकिन हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद जमीन कस्टोडियन के पास रहेगी।

 

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