Beijing News: चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी के जवाब में अपनी स्थिति स्पष्ट की दी है। चीन ने कहा है कि रूस से तेल खरीदना उसका वैध और कानूनी अधिकार है, और वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को राष्ट्रीय हितों के आधार पर पूरा करता रहेगा।
चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “चीन सभी देशों के साथ, जिसमें रूस भी शामिल है, सामान्य आर्थिक, व्यापारिक और ऊर्जा सहयोग को वैध और कानूनी मानता है। हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाते रहेंगे।” यह बयान तब आया है, जब ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 100% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, ताकि रूस पर यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए दबाव बनाया जा सके।
इससे पहले, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने स्टॉकहोम में व्यापार वार्ता के दौरान चीनी अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि यदि चीन ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा, तो उसे भारी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। जवाब में, चीन ने अपनी ऊर्जा संप्रभुता की रक्षा करने की बात कही और टैरिफ युद्ध को “बिना विजेता” वाला कदम बताया।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन और रूस के बीच तेल व्यापार दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 2024 में, रूस ने चीन को रिकॉर्ड 108.5 मिलियन टन कच्चा तेल आपूर्ति किया, जो चीन की कुल तेल आयात का लगभग 20% है। यह आपूर्ति चीन की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की धमकियों के बावजूद, चीन रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा, क्योंकि यह उसके रणनीतिक हितों के लिए आवश्यक है।
इस बीच, भारत पर भी रूसी तेल खरीदने के लिए अमेरिका ने 25% टैरिफ लगा दिया है, जिसे भारत ने “अनुचित और अनुचित” करार दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसका रूस के साथ “स्थिर और समय-परीक्षित” रिश्ता है, और वह अपनी आर्थिक जरूरतों के आधार पर निर्णय लेता रहेगा।
ट्रंप की यह नीति वैश्विक ऊर्जा बाजारों में उथल-पुथल पैदा कर सकती है। यदि चीन और भारत जैसे बड़े खरीदार रूसी तेल कम करते हैं, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की धमकियां पूरी तरह लागू नहीं हो सकतीं, क्योंकि इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी कीमतों का बोझ बढ़ेगा।
चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिकी दबाव में नहीं आएगा और अपनी ऊर्जा नीति को स्वतंत्र रूप से तय करता रहेगा।
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