Begusarai News: बिहार का बेगूसराय जिला न सिर्फ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक अहम सियासी अखाड़ा माना जाता रहा है। फिलहाल यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे में है और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह यहां के सांसद हैं। भाजपा लगातार तीन बार यहां से लोकसभा चुनाव जीत चुकी है, इस सीट पर उसकी मजबूत पकड़ क्या इस बार भी रह पाएगी।
हालांकि, विधानसभा स्तर पर नजर डालें तो पट्टी का राजनीतिक इतिहास उतना सीधा नहीं रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के विधायक ने बाजी मारी थी, मतदाताओं का रुझान बदलता रहता है और यह सीट किसी एक दल के लिए पूरी तरह से सुरक्षित नहीं कही जा सकती।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य:
इस बार की चुनावी जंग में माहौल औरंगाबाद की तरह गर्म है।
गिरिराज सिंह अपनी आक्रामक और हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाने जाते हैं और उन्हें स्थानीय स्तर पर काफी समर्थन भी हासिल है।
महागठबंधन की ओर से मजबूत प्रत्याशी उतारे जाने से इस सीट पर कड़े मुकाबले का संकेत माना जा रहा है।
मुद्दे और जनता का रुझान:
जमीनी स्तर पर बात करें तो चुनावी campaign में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे भी प्रमुखता से छाए हुए हैं। बेगूसराय में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और औद्योगिक विकास की रुकावटें प्रमुख चुनावी मुद्दे बने हुए हैं। भाजपा विकास और राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे पर campaign चला रही है, तो वहीं महागठबंधन सरकार में रोजगार, महंगाई और कथित तौर पर पक्षपातपूर्ण विकास जैसे मुद्दों पर हमला बोल रहा है।
स्थानीय लोगों और राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार बेगूसराय सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। वहीं महागठबंधन के एकजुट होने और एक मजबूत प्रत्याशी उतारने से उन्हें फायदा मिल सकता है। हालांकि, अंतिम फैसला तो मतदाता ही करेंगे।
निष्कर्ष
यह है कि राष्ट्रकवि दिनकर की इस धरती पर इस बार ‘महायुद्ध’ होना तय है। भाजपा अपनी जीत के कब्जे को बरकरार रखना चाहती है, तो विपक्षी दल इसे तोड़ने का पूरा जोर लगा रहे हैं। मतदान का दिन ही तय करेगा कि बेगूसराय की जनता का झुकाव किस ओर है।

