घटना की शुरुआत शनिवार को मुल्तानमल भीखचंद छाजेड़ महिला कॉलेज (या महाराणा भूपाल गर्ल्स कॉलेज) के बाहर हुई, जहां छात्राएं परीक्षा फीस में भारी बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं। छात्राओं का आरोप था कि फीस वृद्धि से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियां शिक्षा से वंचित हो जाएंगी। वे कलेक्टर टीना डाबी से मिलना चाहती थीं, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि वे व्यस्त हैं।
प्रदर्शन के दौरान अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और एसडीएम मौके पर पहुंचे और छात्राओं को आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया जाएगा। इस दौरान एसडीएम ने टीना डाबी को छात्राओं के लिए ‘रोल मॉडल’ बताया। जवाब में एक छात्र नेता ने कहा, “कलेक्टर मैडम हमारी रोल मॉडल नहीं हैं, वे रील स्टार हैं। हमारी रोल मॉडल अहिल्याबाई होल्कर और रानी दुर्गावती जैसी हैं।” छात्राओं का इशारा टीना डाबी की सोशल मीडिया पर सक्रियता और स्वच्छता अभियानों में रील बनाने की ओर था।
प्रदर्शन समाप्त होने के बाद पुलिस ने दो छात्र नेताओं को हिरासत में ले लिया। इसके विरोध में दर्जनों महिला छात्राएं कोतवाली थाने पहुंचीं और धरना दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि हिरासत सिर्फ ‘रील स्टार’ वाली टिप्पणी के कारण हुई। धरना कई घंटे चला और छात्राएं भूखी-प्यासी बैठी रहीं।
अंत में बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह खुद थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए छात्राओं से माफी मांगी और कहा कि यह गलती थी। इसके बाद छात्र नेताओं को बिना कोई मुकदमा दर्ज किए रिहा कर दिया गया।
कलेक्टर टीना डाबी ने फोन पर बताया कि प्रदर्शन के दौरान अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ था और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह सामान्य कार्रवाई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई केस दर्ज नहीं हुआ और मामला शांत करने की कोशिश की गई। कुछ सूत्रों के अनुसार, पुलिस की जल्दबाजी ने कलेक्टर को अनावश्यक विवाद में घेर लिया।
सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से वायरल हो गया। कई यूजर्स ने पुलिस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया, तो कुछ ने छात्राओं की हिम्मत की सराहना की। हालांकि फीस बढ़ोतरी का मूल मुद्दा अभी अनसुलझा है और छात्राएं इसके खिलाफ आगे आंदोलन की चेतावनी दे रही हैं।
यह घटना बाड़मेर में टीना डाबी के कार्यकाल में एक नया विवाद जोड़ती है, जो पहले स्वच्छता अभियानों और सोशल मीडिया एक्टिविटी के लिए चर्चा में रह चुकी हैं।

