विवाद की शुरुआत और हिंसा का दौर
यह विवाद 4 सितंबर को कानपुर में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान शुरू हुआ था, जब एक तंबू पर ‘आई लव मुहम्मद’ का पोस्टर लगाया गया। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे आपत्तिजनक बताते हुए विरोध दर्ज कराया, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। मौलाना तौकीर रजा ने इस अभियान का समर्थन करते हुए 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद इस्लामिया ग्राउंड पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आह्वान किया। हालांकि, प्रशासन ने अनुमति न देने के कारण प्रदर्शन रद्द हो गया।
इसके बावजूद, रजा के घर और आला हजरत दरगाह के बाहर सैकड़ों लोग ‘आई लव मुहम्मद’ के पोस्टर लेकर इकट्ठा हो गए। पुलिस के अनुसार, भीड़ ने पथराव किया और हवाई फायरिंग की, जिसके जवाब में लाठीचार्ज करना पड़ा। इस हिंसा में 10 पुलिसकर्मी घायल हुए। बरेली के कोतवाली क्षेत्र में मस्जिद के बाहर भारी हंगामा हुआ, और स्थिति बिगड़ने पर धारा 163 बीएनएसएस (कानून-व्यवस्था भंग होने की आशंका पर प्रतिबंध) लागू करनी पड़ी।
गिरफ्तारियां और पुलिस कार्रवाई
27 सितंबर को पुलिस ने मौलाना तौकीर रजा समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। रजा पर हिंसा भड़काने और साजिश रचने का आरोप लगाया गया। पुलिस का दावा है कि रजा के वीडियो वायरल करने के लिए ‘ऑनलाइन टूलकिट’ का इस्तेमाल किया गया। कुल 11 एफआईआर दर्ज हुई हैं, जिनमें 2,000 से अधिक लोगों का नाम शामिल है। वीडियो फुटेज के आधार पर 36 लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि कुल 50 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
सोमवार (29 सितंबर) को रजा के सहयोगी नदीम को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, नदीम ने 1,600 लोगों को इकट्ठा किया और प्रदर्शन के बारे में प्रशासन को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया। बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारी स्थानीय नहीं थे, जो बाहरी तत्वों की साजिश का संकेत देता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था भंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
अवैध निर्माण पर शिकंजा, इंटरनेट बहाली
हिंसा के बाद बरेली में तनाव बढ़ने पर 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं, लेकिन मंगलवार को इन्हें बहाल कर दिया गया। प्रशासन ने अवैध निर्माणों के खिलाफ ड्राइव चलाई, जिसमें 74 दुकानों पर सील लगा दी गई। इनमें से कई रजा के समर्थकों से जुड़ी बताई जा रही हैं। इसके अलावा, संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च किए गए, और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात हैं।
अन्य जिलों में भी असर:
बरेली की घटना के बाद बरबंकी और मऊ में भी तनाव फैला, जहां प्रदर्शन हुए। अल इंडिया मुस्लिम जमात के प्रमुख ने अपील की कि पैगंबर के प्रति भक्ति दिल की हो, सड़कों पर हिंसा का रूप न ले।
स्थिति पर नजर
पुलिस और प्रशासन का कहना है कि अब शांति है, लेकिन निगरानी जारी रहेगी। यह घटना धार्मिक भावनाओं के नाम पर हिंसा के खतरे को रेखांकित करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अभियानों को सोशल मीडिया पर फैलाने से विवाद बढ़ता है, और प्रशासन को सतर्क रहना चाहिए। बरेली के निवासी सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं, लेकिन सबक सिखाने वाली यह घटना राजनीतिक बहस का विषय बनी हुई है।

