Bangkok News: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद ने एक बार फिर दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। यह तनाव मई 2025 में शुरू हुए एक सैन्य झड़प से और बढ़ गया, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी। इसके बाद से दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई प्रतिबंधात्मक कदम उठाए हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
तनाव का कारण
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई क्षेत्रों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। यह विवाद 1907 में फ्रांस द्वारा बनाए गए नक्शे से उत्पन्न हुआ, जब कंबोडिया फ्रांसीसी उपनिवेश था। कंबोडिया इस नक्शे को आधार मानकर क्षेत्र का दावा करता है, जबकि थाईलैंड इसे गलत बताता है। खास तौर पर, प्रियाह विहार मंदिर और आसपास के क्षेत्र, जैसे एमराल्ड ट्रायंगल, इस विवाद का केंद्र रहे हैं। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने प्रियाह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया था, लेकिन आसपास के क्षेत्रों को लेकर असहमति बनी रही।
मई 2025 में, दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक छोटे से विवादित क्षेत्र में गोलीबारी हुई, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगाया। हाल ही में, 23 जुलाई को थाई सैनिकों के एक समूह को बारूदी सुरंग विस्फोट में चोटें आईं, जिसे थाईलैंड ने कंबोडिया द्वारा हाल में बिछाई गई सुरंग बताया। कंबोडिया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विस्फोट उनके क्षेत्र में हुआ और पुरानी बारूदी सुरंगों का परिणाम हो सकता है।
हाल के घटनाक्रम
तनाव बढ़ने के साथ, दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है। 24 जुलाई को, थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ अपनी उत्तर-पूर्वी सीमा को पूरी तरह बंद कर दिया और दोनों देशों ने अपने-अपने राजदूतों को वापस बुला लिया। थाईलैंड ने पर्यटकों और व्यापारियों सहित सभी यात्रियों के लिए सीमा पार करने पर प्रतिबंध लगा दिया, केवल छात्रों और चिकित्सा जरूरतों वाले लोगों को छूट दी गई।
कंबोडिया ने जवाब में थाईलैंड से फल, सब्जियां, ईंधन और बिजली आयात पर रोक लगा दी। इसके अलावा, कंबोडिया ने थाई फिल्मों और टीवी शो पर प्रतिबंध लगाया और कुछ इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आक्रामकता का आरोप लगाया है, जिससे राष्ट्रवादी भावनाएं भड़क उठी हैं।
24 जुलाई को स्थिति तब और बिगड़ गई, जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें थाईलैंड के अनुसार कम से कम 11 नागरिक और एक सैनिक मारे गए। कंबोडिया ने थाईलैंड पर हवाई हमले और नागरिक क्षेत्रों पर रॉकेट दागने का आरोप लगाया, जबकि थाईलैंड ने कंबोडिया पर एक गैस स्टेशन और अस्पताल पर हमला करने का इल्ज़ाम लगाया।
राजनीतिक प्रभाव
इस विवाद ने दोनों देशों में राजनीतिक अस्थिरता को भी बढ़ावा दिया है। थाईलैंड की प्रधानमंत्री पेटोंगटर्न शिनावात्रा को 1 जुलाई को एक लीक फोन कॉल के बाद निलंबित कर दिया गया, जिसमें उन्होंने कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन के साथ बातचीत में थाई सेना की आलोचना की थी। इस कॉल ने थाईलैंड में उनकी सरकार के खिलाफ राष्ट्रवादी आक्रोश को बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी गठबंधन सरकार से एक प्रमुख दल ने समर्थन वापस ले लिया।
कंबोडिया में, प्रधानमंत्री हुन मैनेट ने शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है, लेकिन उनके पिता और पूर्व नेता हुन सेन ने कड़ा रुख अपनाते हुए थाईलैंड को चेतावनी दी है कि “हम केवल प्रतिरोध नहीं करेंगे, हम जवाबी हमला करेंगे।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
चीन ने दोनों देशों से संवाद के माध्यम से विवाद सुलझाने का आग्रह किया है, जबकि मलेशिया के प्रधानमंत्री और आसियान अध्यक्ष अनवर इब्राहिम ने शांति के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है। कंबोडिया ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की घोषणा की है, जबकि थाईलैंड ने इसे द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने पर जोर दिया है।
आगे क्या?
विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों में कमजोर नेतृत्व और बढ़ती राष्ट्रवादी भावनाओं के कारण यह विवाद आसानी से सुलझने की संभावना कम है। थाईलैंड में अस्थिर गठबंधन सरकार और कंबोडिया में आर्थिक संकट इस तनाव को और बढ़ा रहे हैं। यदि दोनों देश जल्द ही संवाद शुरू नहीं करते, तो सीमा पर और हिंसा की आशंका बनी हुई है।
निष्कर्ष
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह तनाव ऐतिहासिक सीमा विवाद, हाल की सैन्य झड़पों और दोनों देशों में बढ़ती राष्ट्रवादी भावनाओं का परिणाम है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रहा है।
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