सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने लैंडिग वाली जगह को शिवशक्ति नाम दिए जाने पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। मौर्य ने कहा कि ये वैज्ञानिकों का अपमान है।
NEW DELHI : जहां एक तरफ चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग से पूरा देश उत्साहित है, वहीं इस विषय पर बोलते हुए सपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने विवादित बयान दे दिया है। आपको बता दें कि पीएम मोदी ने शनिवार (26 अगस्त) को ऐलान भी किया कि लैंडिग वाली जगह को अब शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा। इस नाम के सामने आने के बाद सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बोल!
सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा है, ’चंद्रयान-3 द्वारा चांद पर किए गए सफलतापूर्वक लैंडिंग स्थल को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शिवशक्ति नाम दिया जाना वैज्ञानिकों का घोर अपमान है। अगर नामकरण करना ही था तो महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई या एपीजे अब्दुल कलाम या इसरो के किसी भी वैज्ञानिक के नाम पर किया जाना चाहिए। इससे वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई होती और उनका सम्मान भी बढ़ता। इससे विज्ञान के प्रति नवयुवकों की रुचि भी बढ़ती।’
चंद्रयान-3 द्वारा चांद पर किए गए सफलतापूर्वक लैंडिंग स्थल को प्रधानमंत्री, मा. मोदी जी द्वारा शिवशक्ति नामकरण कर वैज्ञानिकों का घोर अपमान किया है। यदि नामकरण करना ही था तो महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई या एपीजे अब्दुल कलाम अथवा इसरो के किसी भी वैज्ञानिक के नाम पर किया जाना चाहिए।…
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) August 26, 2023
मुजफ्फरनगर के एक स्कूल वाली घटना पर कही ये बात
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ’मुजफ्फरनगर के एक स्कूल में, एक महिला टीचर द्वारा मुस्लिम बच्चों को हिंदू बच्चों से पिटवाये जाने की घटना घोर निंदनीय है। यह घटना यह साबित करती है ऐसी जातीय दुर्भावना से ग्रसित टीचर, टीचर न होकर डायन जैसा व्यवहार कर रही है, जो शिक्षक के गुणों के विपरीत आचरण है। स्थानीय पुलिस प्रशासन को इस डायन टीचर के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहिए।’
सबसे बड़े धर्मग्रंथ को लेकर कही थी ये बात
इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि हमारे लिए सबसे बड़ा धर्मग्रंथ कोई है, हमारे लिए सबसे बड़ी आदरणीय पुस्तक कोई है, हमारे लिए सबसे बड़ी पूज्य पुस्तक कोई है, तो भारतीय संविधान है, इसके सिवाय कुछ और नहीं है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि आजादी के 76 साल बाद भी जातियां आज सबके सिर पर चढ़कर बोल रही हैं और वह जातियां जिन्होंने पूरे समाज को बांटा, अपने वर्चस्व को सर्वोच्च बनाए रखने के लिए जिन्होंने कहा, “ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, सकल, ताड़ना के अधिकारी।“ जिन्होंने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा “जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा।“ जिन्होंने कहा “पूजहि विप्र सकल गुण हीना । शुद्र न पूजहु गुण ज्ञान प्रवीणा।“
जातिवाद का मुद्दा भी उठाया था
मौर्य ने कहा था कि आखिर जातिवाद कौन कर रहा है? जातिवाद के ठेकेदारों ने हमें विभिन्न जातियों में बांटकर हमारा शोषण किया, हमें अधम कहा, पढ़ने लिखने से रोका, और अगर हम अपनी पीड़ा बोलते हैं तो कहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य हमारे विरोधी हैं।
उन्होंने कहा था कि हमारे देश में जो सामाजिक व्यवस्था है, वह वर्ण और जाति पर आधारित है, यह वह लूटा-पीटा समाज है। जिसको जाति के नाम पर हजारों साल तक धन-धरती शिक्षा और सम्मान से वंचित किया गया, सम्मान और स्वाभिमान से वंचित किया गया, जानवर से भी बत्तर सलूक किया गया। इसलिए समय-समय पर हमारे देश में पैदा होने वाले संतो-गुरुओं, महापुरुषों ने करुणा, मैत्री, बंधुत्व पर आधारित समाज की संरचना के लिए शंखनाद किया।