Babri Masjid News: हुमायूं का ‘बाबरी मस्जिद’ के निर्माण का आह्वान, कबीर पार्टी से निलंबित

Babri Masjid News: पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने गुरुवार को अपने विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी से निलंबित कर दिया। कबीर ने मुरशिदाबाद जिले के बेलदंगा में 6 दिसंबर को ‘बाबरी मस्जिद’ के निर्माण का ऐलान किया था, जिसे पार्टी ने सांप्रदायिक राजनीति फैलाने वाला बताया।

निलंबन के बाद कबीर ने विधायक पद से इस्तीफा देने और अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा की है।
टीएमसी के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हकीम ने निलंबन की घोषणा करते हुए कहा, “कबीर रेजिनगर में रहते हैं और भरतपुर से विधायक हैं। फिर बेलदंगा में मस्जिद बनाने की बात क्यों? बेलदंगा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है।

दंगे भड़काने से ध्रुवीकरण होगा और इससे भाजपा को फायदा पहुंचेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी सांप्रदायिक राजनीति बर्दाश्त नहीं करेगी। हकीम के अनुसार, कबीर को तीन बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने अनदेखी की। यह कार्रवाई उसी दिन हुई जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुरशिदाबाद का दौरा कर रही थीं।

निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए हुमायूं कबीर ने कहा, “मैं विधायक पद से इस्तीफा दूंगा और 22 दिसंबर को मुरशिदाबाद में अपनी नई पार्टी की घोषणा करूंगा। मैं भाजपा और टीएमसी दोनों के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘बाबरी मस्जिद’ निर्माण की योजना में कोई बदलाव नहीं होगा। “निलंबन के बावजूद 6 दिसंबर को नींव रखूंगा,” कबीर ने दावा किया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वायरल उनके एक वीडियो में वे कहते नजर आ रहे हैं, “मैं बाबरी मस्जिद बनाऊंगा, भले ही निलंबन हो।”

यह विवाद टीएमसी के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है। कबीर के बयानों ने भाजपा को टीएमसी पर हमला बोलने का मौका दिया। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी विधायक के सांप्रदायिक बयानों पर कार्रवाई की मांग की थी। मुरशिदाबाद में अप्रैल 2025 में वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों बेघर हो गए। कबीर पर पहले भी सांप्रदायिक बयान देने के आरोप लग चुके हैं।

कबीर का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2015 में वे टीएमसी से ही छह साल के लिए निलंबित हुए थे। 2018 में उन्होंने भाजपा जॉइन की और 2019 के लोकसभा चुनाव में मुरशिदाबाद से लड़े। 2021 में वे फिर टीएमसी में लौट आए। एक्स पर प्रतिक्रियाओं में कई यूजर्स ने कबीर की गिरफ्तारी की मांग की है, जबकि कुछ ने टीएमसी की ‘वोटबैंक राजनीति’ पर सवाल उठाए। एक पोस्ट में कहा गया, “कबीर को न सिर्फ निलंबित, बल्कि जेल भेज देना चाहिए।”

टीएमसी का यह कदम पार्टी की छवि बचाने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह घटना बंगाल की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है।

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