Babri Masjid in Beldanga, Murshidabad district: मस्जिद की नींव पर शुक्रवार को सैकड़ों ने अदा की नमाज, हुमायूं का दावा- 5 करोड़ जुटे

Babri Masjid in Beldanga, Murshidabad district: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा क्षेत्र में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद शैली वाली मस्जिद के स्थल पर शुक्रवार को सैकड़ों मुसलमानों ने जुमे की नमाज अदा की। यह घटना बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं वर्षगांठ पर 6 दिसंबर को रखी गई नींव के एक सप्ताह बाद हुई, जिसने स्थानीय स्तर पर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया है। निलंबित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि इस मस्जिद निर्माण के लिए अब तक करीब 5 करोड़ रुपये इकट्ठा हो चुके हैं।

घटना स्थल पर भारी भीड़ उमड़ी, जहां भोजन स्टॉल लगाए गए थे और दान बॉक्स में 57 लाख रुपये से अधिक का संग्रह हुआ। कबीर के समर्थकों ने क्यूआर कोड के माध्यम से 2.47 करोड़ रुपये जुटाए। स्थानीय निवासियों के अनुसार, नमाज के दौरान धार्मिक नारे लगाए गए और विशेष नफ्ल नमाज पढ़ी गई। हालांकि, सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और केंद्रीय बल तैनात थे, जिससे कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

नींव रखने की पृष्ठभूमि
6 दिसंबर को, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस की वर्षगांठ थी, हुमायूं कबीर ने हजारों समर्थकों के बीच मस्जिद की प्रतीकात्मक नींव रखी। यह आयोजन अयोध्या की बाबरी मस्जिद की शैली पर आधारित मस्जिद का निर्माण शुरू करने का दावा करता था, जिसे कबीर ने “मान-सम्मान की लड़ाई” करार दिया। टीएमसी ने कबीर को निलंबित कर दिया था, क्योंकि पार्टी ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास माना। कबीर ने शुरुआत में विधानसभा से इस्तीफा देने की घोषणा की, लेकिन सोमवार को इसे वापस ले लिया, कहते हुए कि “लोग नहीं चाहते कि मैं इस्तीफा दूं।”

कबीर ने कहा, “यह मस्जिद तीन साल में पूरी हो जाएगी और यह मुसलमानों के सम्मान की रक्षा का प्रतीक बनेगी।” आयोजन के दौरान अजान के बाद नमाज पढ़ी गई और धार्मिक उत्साह का माहौल रहा। विपक्षी दलों ने इसे बंगाल में सांप्रदायिकता भड़काने का प्रयास बताया, जबकि कबीर के समर्थक इसे धार्मिक अधिकारों की अभिव्यक्ति मान रहे हैं।

फंडिंग और राजनीतिक विवाद
कबीर के अनुसार, मस्जिद निर्माण के लिए दान अभियान ने तेजी पकड़ी है। 6 दिसंबर के बाद मात्र एक सप्ताह में 5 करोड़ रुपये इकट्ठा हो चुके हैं, जिसमें 12 दान बॉक्सों से 57 लाख और डिजिटल भुगतान से 2.47 करोड़ शामिल हैं। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि फंड 2.7 करोड़ को पार कर चुका था। कबीर ने एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के साथ गठबंधन की संभावना का भी संकेत दिया।
टीएमसी नेतृत्व ने कबीर के कदम की निंदा की, जबकि भाजपा ने राज्य सरकार पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया। मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की तैनाती ने तनाव को नियंत्रित रखा, लेकिन स्थानीय स्तर पर बहस तेज हो गई है। एक वीडियो में बांग्लादेश के विरोध प्रदर्शन को गलत तरीके से मुर्शिदाबाद घटना से जोड़ा गया, जिसे फैक्ट-चेकर्स ने खारिज कर दिया।

यह घटना बंगाल की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक और सांप्रदायिक मुद्दों को फिर से उछाल देती है, खासकर जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। कबीर की अगली रणनीति पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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