Ayodhya: अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान कार्यक्रम के संपन्न हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों और दुनिया के सभी रामभक्तों को इस शुभ घड़ी की बधाई देते हुए कहा है कि सदियों के अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग, तपस्या और प्रतीक्षा के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं और अब हमारे रामलला टेंट में नहीं, इस दिव्य मंदिर में रहेंगे.
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श्री मोदी ने सोमवार को यहां नवनिर्मित भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में चिरप्रतीक्षित प्राण प्रतिष्ठा पर्व में पूजा अर्चना के बाद वहां देश भर से आमंत्रित संत महात्माओं और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा , “ आज का ये अवसर उत्सव का क्षण तो है ही, लेकिन इसके साथ ही ये क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का क्षण भी है। हमारे लिए ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है।”
अयोध्या में जन्मभूमि पर मंदिर को लेकर पांच सौ वर्ष से चले आ रहे विवाद की इस सुखद परिणति को ‘नये कालचक्र का उद्भव्’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने मंदिर के चबूतरे पर बने मंच से वहां एकत्रित भगवा रंग में रंगे जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा ,“ वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जान पाए। रामलला के इस मंदिर का निर्माण, भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। हम देख रहे हैं, ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। राम मंदिर समाज के हर वर्ग को एक उज्जवल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा लेकर आया है। ”
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उन्होंने कहा , “ रामलला की ये प्रतिष्ठा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विचार की भी प्रतिष्ठा है। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या में, केवल श्रीराम के विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है। ये श्रीराम के रूप में साक्षात् भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है।”
नागर स्थापत्य शैली में निर्मित मंदिर की पृष्ठभूमि में बने मंच पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डा मोहन भागवत और प्रांगण में देश भर से आये करीब डेढ सौ प्रचलित पंथाें और संत परंपराओं के प्रतिनिधियों तथा सिने,खेल और उद्योग जगत की हस्तियों की उपस्थिति में कहा कि भारत ने अयोध्या की गुत्थी को जिस संजीदगी से सुलझाया है वह दुनिया के सामने एक मिसाल है। उन्होंने कहा , “ दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं। ऐसे देशों ने जब भी अपने इतिहास की उलझी हुई गांठों को खोलने का प्रयास किया, उन्हें सफलता पाने में बहुत कठिनाई आई। बल्कि कई बार तो पहले से ज्यादा मुश्किल परिस्थितियां बन गईं। लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है, वो ये बताती है कि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है। ”
राम मंदिर पर विवाद खड़ा करने वाले विरोधियों को जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वे आज उन लोगों से आह्वान करेंगे कि महसूस कीजिए और अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, राम विवाद नहीं समाधान है, राम आग नहीं, राम ऊर्जा हैं. राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, राम तो सबके हैं. राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंतकाल हैं.
उन्होंने कहा कि वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी. ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता नहीं जान पाए. उनका पक्का विश्वास और अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश के, विश्व के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी. ये क्षण आलौकिक है, ये पल पवित्रतम है.
उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनके कार्य और समर्पण की वजह से आज हम ये शुभ दिन देख रहे हैं. राम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की पराकाष्ठा करके दिखाई है. उन अनगिनत रामभक्तों के, उन अनगिनत कारसेवकों के और उन अनगिनत संत-महात्माओं के हम सब ऋणी हैं.
प्रधानमंत्री ने प्रभु श्रीराम से माफी मांगते हुए यह भी कहा कि मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं. हमारे पुरुषार्थ, त्याग और तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए. आज वो कमी पूरी हुई है. मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने आने वाले समय को भारत का समय बताते हुए लोगों से अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखने का आह्वान करते हुए कहा, “आज अयोध्या भूमि हम सभी से, प्रत्येक रामभक्त से, प्रत्येक भारतीय से कुछ सवाल कर रही है. श्रीराम का भव्य मंदिर तो बन गया… अब आगे क्या ? सदियों का इंतजार तो खत्म हो गया… अब आगे क्या ? आज के इस अवसर पर जो दैव, जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुई हैं, हमें देख रही हैं, उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे? नहीं, कदापि नहीं.
उन्होंने आगे कहा कि आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि कालचक्र बदल रहा है. ये सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को एक कालजयी पथ के शिल्पकार के रूप में चुना गया है. हज़ार वर्ष बाद की पीढ़ी, राष्ट्र निर्माण के हमारे आज के कार्यों को याद करेगी. इसलिए मैं कहता हूं- यही समय है, सही समय है. हमें आज से, इस पवित्र समय से, अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है. ये मंदिर सिखाता है कि अगर लक्ष्य, सत्य प्रमाणित हो, अगर लक्ष्य, सामूहिकता और संगठित शक्ति से जन्मा हो, तब उस लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है.”
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