नोएडा प्राधिकरण दफ्तर में सीबीआइ और एसआईटी भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेजों को खंगालने में जुटी हुई है। एक ही दिन सीर्बीआइ बिल्डरों से जुड़े मामले जांच कर रही थी तो दूसरी और किसान अतिरिक्त मुआवजा देने के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एसआइटी की टीम ने प्राधिकरण में डेरा डाल दिया। करीब 4 घंटे तक अधिकारियों के साथ बातचीत की, प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास किया। इस दौरान विभिन्न विभागों के अधिकारियों को बारी बारी बुलाकर वार्ता की।
इसमें नियोजन, विधि, भूलेख, संपत्ति, आईजीआरएस विभागों के अधिकारी शामिल रहे। बातचीत के दौरान जांच टीम सदस्यों ने वर्ष 1976 से लेकर वर्ष 2017 तक मुआवजा से संबंधित भी कई फाइलों की नोट शीट मांगी, जिसकी समरी फाइल बनाकर एसआईटी को भेजने का संबंधित अफसरों ने आश्वासन दिया।
117 करोड़ रुपये से अधिक के मुआवजे का मामला
बता दें कि प्राधिकरण अधिकारियों के साथ प्रत्येक विभाग का स्थलीय निरीक्षण कर भौतिक रूप से अधिकारी-कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास किया। बता दें कि इससे पहले प्राधिकरण के विधि विभाग की 31 फाइल और बाद में 16 फाइल को जांच टीम हासिल कर चुकी है।
पूरा मामला गेझा तिलपताबाद, भूड़ा गांव से जुड़ा है, जिसमें 117 करोड़ रुपये से अधिक का किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटा गया है, इससे सरकार को राजस्व की क्षति हुई है लेकिन प्राधिकरण ने इस गबन में कुछ अधिकारियों की संलिप्तता पर कार्रवाई की है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवालिया निशान लगा दिया है।
दो बार खारिज हुई एसआईटी रिपोर्ट
दो बार एसआइटी की रिपोर्ट को खारिज तक कर दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अगुवाई में एक तीन सदस्य कमेटी गठित की है, जो फिर से पूरे प्रकरण की जांच कर रही है। इसी सिलसिले में बुधवार को जांच टीम नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर बार बार पहुंच रही है।अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट यह कतई मानने को तैयार नहीं है कि इस गबन प्रकरण में सिर्फ कुछ अधिकारी की संलिप्तता है। पुरानी एसआईटी की टीम ने जो जांच रिपोर्ट बनाई थी। उसमें दो याचिकाकर्ता अधिकारियों की संलिप्तता को उजागर किया था कोर्ट ने यह भी कहा था किसानों को अतिरिक्त मुआवजा पाने वाले किसी भी किसान के साथ प्राधिकरण कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता।
न ही भविष्य में होने वाली एफआइआर में उनके नाम शामिल कर सकता है। पुरानी एसआईटी की टीम ने 180 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में तीन अधिकारियों ने मिलकर प्राधिकरण को करीब 117 करोड़ से अधिक का राजस्व क्षति पहुंचाई है।
सु्प्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण में एक अप्रैल 2009 से वर्ष 2023 तक कुल 15 सालों के मुआवजा वितरण संबंधित कुल 1198 फाइलों को खंगाला। जिसमें कुल 20 मामलों में अनियमितता मिली। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में शुरुआत में 12 और बाद में 8 नए प्रकरण शामिल किए है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस जांच से खुश नहीं है।
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