Attack on Corruption: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लगातार विजिलेंस काम कर रही है। यही कारण है कि एक के बाद एक प्राधिकरण के अफसरों पर शिकंजा कसा जा रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति का ब्योरा एकत्र किया जा रहा है, ताकि उसका मिलान किया जा सके। जो संपत्ति अधिकारी या कर्मचारी पर है वो उसकी आय के अनुरूप है या नहीं। इससे पहले ईडी की ओर से नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिन्दर सिंह पर शिकंजा कसा गया। उनसे पूछ्ताछ के बाद पुलिस को कई अहम सुराग मिले, जिसके बाद उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह के घर व उनके कई अन्य ठिकानों पर छापेमारी की गई। पता चला है राजवीर सिंह के पास करोड़ों रुपए की संपत्ति लेकिन उनकी आय के अनुरूप नहीं है। शुरुआती जांच में पता चला है कि 50 करोड़ से अधिक की चल अचल संपत्ति उनकी अलग अलग शहरों में है। नोएडा और दिल्ली में कई करोड़ के भूखंड होने की दस्तावेज़ भी उनके यहाँ से मिलने का दावा किया जा रहा है। डीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण ने बताया कि विजिलेंस ने शासन के निर्देश पर राजकीय निर्माण निगम के नई दिल्ली स्थित महाप्रबंधक कार्यालय में तैनात अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह की जांच शुरू की थी। जिसमें आय के समस्त वैध स्रोतों से अधिक संपत्ति होने का पता चला था और इसके बाद ही छापेमारी की गई है।
प्राधिकरण के अधिकारियों में हड़कंप
जैसे ही छापेमारी शुरू हुई तो प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों में गहमागहमी का माहौल देखा गया। ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारियों की संपत्ति का ब्यौरा सरकार ने स्वयं घोषणा करने के लिए निर्देश जारी किए थे। काफी लोगो ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे भी दिया, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने संपत्ति का ब्योरा दिया लेकिन काफी ब्योरा छुपा भी दिया। अब ऐसे ही लोगों की तलाश विजिलेंस को है। जिन लोगों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है उसकी भी जांच हो रही है। इसमें कुछ ही लोगों की जांच की जा रही है। ताकि पता लगाया जा सके कि ये संपत्ति वैध श्रोत से बनाई गई है या फिर श्रोत अवैध है।
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