आशा भोसले की अमर धुन ‘पिया तू अब तो आजा’, जब शर्मिंदा होकर मजरूह सुल्तानपुरी स्टूडियो छोड़ कर भागे

Piya Tu Ab To Aaja: हिंदी सिनेमा की स्वर कोकिला आशा भोसले ने हाल ही में एक पुरानी याद ताजा की, जो बॉलीवुड के संगीत इतिहास का एक मजेदार और भावुक अध्याय है। 1971 की सुपरहिट फिल्म ‘कारवां’ का आइकॉनिक गाना ‘पिया तू अब तो आजा’ रिकॉर्डिंग के दौरान गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी इतने शर्मिंदा हो गए कि उन्होंने स्टूडियो से बीच में ही किनारा कर लिया। आशा जी ने इस घटना को साझा करते हुए बताया कि कैसे मजरूह साहब ने खुद को ‘गंदा गाना लिखने वाला’ ठहराया और चले गए। यह किस्सा न सिर्फ उस दौर की सेंसरशिप और बोल्ड गीतों की जद्दोजहद को दिखा रहा है, बल्कि आशा भोसले की पेशेवर निष्ठा का भी प्रतीक है।

फिल्म ‘कारवां’ में जीतेंद्र, आशा पारेख और हेलेन की जोड़ी के साथ रिलीज हुई यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा चुकी थी। आर.डी. बर्मन द्वारा संगीतबद्ध और मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखे गए इस गाने ने आशा भोसले को रातोंरात स्टार बना दिया। लेकिन रिकॉर्डिंग के समय मजरूह साहब को अपने ही शब्दों पर शर्मिंदगी महसूस हुई। आशा जी ने बताया, “मजरूह साहब स्टूडियो से चले गए और बोले, ‘बेटी, मैंने गंदा गाना लिखा है। मेरी बेटियां बड़ी होकर यह गाना गाएंगी।’” वे गाने की बोल्ड लिरिक्स से इतने असहज हो गए कि वहां रुक ही न सके। फिर भी, आशा जी ने अपना वादा निभाया और गाना रिकॉर्ड कर लिया। उन्होंने कहा, “मुझे पता था कि संगीत अच्छा है, लेकिन यह नहीं मालूम था कि यह इतना बड़ा हिट बनेगा।”

यह घटना अगस्त 2025 में सामने आई, जब आशा जी ने अपने 50 वर्षों के करियर पर बातचीत की। उन्होंने आर.डी. बर्मन पर भी एक दिलचस्प आरोप लगाया – कि उन्हें हमेशा बोल्ड गाने मिलते थे, जबकि उनकी बहन लता मंगेशकर को ‘साफ-सुथरे’ गाने। लेकिन पंचम (आर.डी. बर्मन) ने भविष्यवाणी की थी कि ‘पिया तू…’ सुपरहिट होगा, जो सच साबित हुई। आशा जी ने यह भी खुलासा किया कि इस गाने समेत ‘दम मारो dam’ जैसी कई धुनें रेडियो पर बैन हो गईं। बॉम्बे रेडियो ने उनके 3-4 गानों को प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि उन्हें ‘अश्लील’ माना गया। ‘दम मारो दम’ को तो दूरदर्शन पर भी संपादित करना पड़ा, भले ही वह फिल्म ड्रग्स के खिलाफ थी।

‘पिया तू अब तो आजा’ आज भी युवाओं के बीच डांस फ्लोर का जलवा बरकरार रखे हुए है। विकिपीडिया के अनुसार, यह गाना आशा भोसले और आर.डी. बर्मन का संयुक्त प्रोजेक्ट था, जो 1971 में रिलीज हुआ और हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार आइटम नंबर्स में शुमार है। मजरूह सुल्तानपुरी जैसे कवि-गीतकार, जो उर्दू शायरी के जानकार थे, के लिए ऐसे बोल्ड शब्द लिखना आसान न था। लेकिन यही तो बॉलीवुड का जादू है – जहां शर्मिंदगी से जन्म लेते हैं सदियों के सुपरहिट्स।

आशा भोसले, जिन्होंने 12,000 से ज्यादा गाने गाए हैं, आज 92 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय हैं। यह किस्सा उनके संघर्षपूर्ण सफर की एक झलक है, जो नई पीढ़ी को प्रेरित करता है। क्या आपने कभी सोचा था कि आपका फेवरेट गाना इतनी शर्मिंदगी से रचा गया? बॉलीवुड के ये अनकहे राज ही तो इसे अमर बनाते हैं।

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