Arab countries support Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई गाजा शांति योजना को अरब और मुस्लिम देशों से व्यापक समर्थन मिल रहा है, जिससे मध्य पूर्व में लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। सोमवार को व्हाइट हाउस में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने इस 20-सूत्री योजना को “मध्य पूर्व में शाश्वत शांति का ऐतिहासिक दिन” करार दिया। योजना में तत्काल युद्धविराम, बंधकों की रिहाई, हमास का निरस्त्रीकरण और गाजा का पुनर्निर्माण शामिल है।
योजना के प्रमुख बिंदुओं में गाजा में तत्काल युद्धविराम, हमास द्वारा बंधकों की 72 घंटों के अंदर रिहाई के बदले फिलिस्तीनी कैदियों की अदला-बदली, इजरायली सेनाओं की चरणबद्ध वापसी और हमास को सत्ता से पूरी तरह बाहर करना शामिल है। योजना के अनुसार, गाजा का शासन अस्थायी रूप से एक “तकनीकी और राजनीतिक रूप से तटस्थ फिलिस्तीनी समिति” को सौंपा जाएगा, जिसकी निगरानी अंतरराष्ट्रीय “शांति बोर्ड” करेगा, जिसमें ट्रंप स्वयं अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा, गाजा को “मध्य पूर्व की रिवेरा” बनाने के लिए आर्थिक पुनर्विकास योजना तैयार की जाएगी, जिसमें जारेड कुश्नर जैसे विशेषज्ञ शामिल होंगे। योजना में फिलिस्तीन राज्य की संभावना का द्वार खुला रखा गया है, लेकिन नेतन्याहू ने बाद में इसका विरोध जताते हुए कहा कि यह “पागलपन” होगा।
इस योजना को अरब देशों ने दिल खोलकर अपनाया है। कतर, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की, सऊदी अरब और मिस्र के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी कर ट्रंप की “नेतृत्व क्षमता और गाजा में युद्ध समाप्त करने के सच्चे प्रयासों” का स्वागत किया। बयान में कहा गया, “हम ट्रंप के नेतृत्व में शांति की राह ढूंढने के प्रति पूर्ण विश्वास रखते हैं।” सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वेस्ट बैंक पर इजरायली कब्जे को रोकना योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो क्षेत्रीय शांति के लिए “लाल रेखा” है।
ट्रंप ने यूएन महासभा के दौरान सऊदी अरब, कतर, यूएई, मिस्र और जॉर्डन के नेताओं को योजना सौंपी थी, जिन्होंने इसे “उत्साहजनक” बताया। यूरोपीय संघ के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने भी योजना का स्वागत करते हुए कहा, “दो-राज्य समाधान ही न्यायपूर्ण शांति का एकमात्र रास्ता है।” ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, जो योजना के “शांति बोर्ड” के सदस्य हैं, ने इसे “इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति की संभावना” का संकेत बताया।
हालांकि, योजना पर हमास की प्रतिक्रिया नकारात्मक रही है। हमास ने कहा कि उसे योजना की कोई जानकारी नहीं है और यह इजरायल के हितों को बढ़ावा देती है। ट्रंप और नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि यदि हमास योजना स्वीकार नहीं करता, तो इजरायल “काम पूरा करेगा”। विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि अमेरिका हमास से संपर्क कर योजना के विवरण साझा करेगा।
यह योजना ट्रंप के पहले कार्यकाल की अब्राहम समझौतों का विस्तार मानी जा रही है, जिसमें यूएई, बहरीन और मोरक्को जैसे देशों ने इजरायल के साथ संबंध सामान्य किए थे। फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने भी योजना का स्वागत किया है, लेकिन दो-राज्य समाधान पर जोर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि योजना लागू होने पर गाजा का पुनर्निर्माण पांच वर्षों में अंतरराष्ट्रीय और अरब संघ के सहयोग से होगा, जिसमें अमेरिका सुरक्षा गारंटी देगा।
ट्रंप ने कहा, “हम बहुत करीब हैं। यह न केवल गाजा का युद्ध समाप्त करेगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में शांति लाएगा।” यदि हमास सहमत होता है, तो यह दशकों पुराने संघर्ष में ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।

