कश्मीर में सेब की फसल बर्बाद, हाईवे बंद होने से किसानों को हो रहा करोड़ों का नुकसान

Apple crop ruined in Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात ने सेब किसानों की कमर तोड़ दी है। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे (एनएच-44) पिछले तीन हफ्तों से बंद पड़ा है, जिसकी वजह से हजारों ट्रक सेब से लदे फंसे हुए हैं और फसल सड़ रही है। पुलवामा, कुलगाम और शोपियां जैसे इलाकों में किसान अपनी साल भर की मेहनत बर्बाद होते देख रहे हैं, जहां सेब की पेटियां मंडियों में पड़ी सड़ रही हैं। बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलवामा की मंडी में 50 हजार से ज्यादा सेब की पेटियां बेकार पड़ी हैं, जबकि बाजार में सेब के दाम आसमान छू रहे हैं।
हाईवे बंद होने का कारण
यह संकट 24 अगस्त 2025 से शुरू हुआ, जब भारी मॉनसून बारिश ने लैंडस्लाइड और बाढ़ को जन्म दिया, जिससे हाईवे का 300 मीटर का हिस्सा उदयपुर में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। जिसके चलते कम से कम 170 लोगों की मौत हो चुकी है और इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान पहुंचा है। अधिकारियों का कहना है कि हाईवे की संरचना कमजोर है, क्योंकि यहां ब्लास्टिंग और टनलिंग जैसी गतिविधियों से मिट्टी अस्थिर हो गई है। पिछले सात सालों में यह हाईवे 284 दिनों तक बंद रहा है, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए बार-बार की समस्या बन चुका है।
किसानों पर असर और नुकसान
कश्मीर भारत के कुल सेब उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा पैदा करता है, जहां सालाना 20-25 मिलियन मीट्रिक टन सेब उगाए जाते हैं। लेकिन इस बार 4,000 से ज्यादा ट्रक काजिगुंड में फंसे हैं, जिनमें करोड़ों रुपये की फसल सड़ रही है। अनुमान है कि कुल नुकसान 146 मिलियन डॉलर (करीब 1,200 करोड़ रुपये) तक पहुंच सकता है। पुलवामा के किसान जाविद अहमद भट ने बताया कि उनके दो ट्रकों में 10,000 डॉलर से ज्यादा की फसल सड़ गई, और अब उन्हें सड़क किनारे फेंकनी पड़ रही है। इसी तरह, कुलगाम के जावीद अहमद राथर ने 2,000 बॉक्स सेब (15 लाख रुपये के) सड़क पर फेंक दिए, क्योंकि वे सड़ चुके थे।
सोपोर के किसान इशफाक अहमद ने कहा, “यह सिर्फ मेरी या मेरे गांव की समस्या नहीं है, पूरे कश्मीर के सेब किसान प्रभावित हैं। हमारी पूरी आजीविका इस फसल पर टिकी है।” मंडियों में सेब के दाम 600 रुपये प्रति बॉक्स से गिरकर 400 रुपये तक पहुंच गए हैं, और कई किसान अब ऑर्चर्ड्स से फसल नहीं ला रहे। बिजबेहरा मंडी से अकेले 700-800 ट्रक फंसे हैं, जहां आधे से ज्यादा सेब सड़ चुके हैं। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वायरल वीडियोज में किसान सेब की बर्बादी दिखा रहे हैं, और पुलवामा में ऑर्चर्ड्स पूरी तरह तबाह हो गए हैं।
किसानों के विरोध और मांगें
किसान पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। कुछ ने हाईवे को सेना के हवाले करने की मांग की है। एप्पल ग्रोअर्स यूनियन ने दिल्ली के लिए स्पेशल ट्रेनों की मांग की है। सीपीआई(एम) नेता एम. वाई. तरिगामी ने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (एमआईएस) को फिर से शुरू करने और ओवरराइप सेब को जूस-जैम के लिए खरीदने की अपील की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद सैयद आगा रुहुल्लाह ने इसे किसानों पर “हमला” बताया है।
सरकार का रिस्पॉन्स
15 सितंबर 2025 को लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने बडगाम से दिल्ली के लिए एक स्पेशल ट्रेन लॉन्च की, जो रोजाना 23-24 टन फल ले जा सकती है, लेकिन यह अपर्याप्त है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 16 सितंबर को घोषणा की कि 50 से ज्यादा अर्थमूवर्स लगाए गए हैं और हाईवे जल्द बहाल होगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से कहा कि अगर वे हाईवे नहीं संभाल सकते, तो इसे उन्हें सौंप दें। सेना ने भी एक फ्रेट ट्रेन से सेब दिल्ली भेजे हैं।
यह संकट न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पूरे देश में सेब की सप्लाई चेन को भी बाधित कर रहा है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि हाईवे पर भारी ट्रकों को प्रतिबंधित कर छोटे वाहनों का इस्तेमाल किया जाए। सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द राहत पैकेज और बीमा कवरेज प्रदान किया जाए, क्योंकि ज्यादातर किसानों के पास क्रॉप इंश्योरेंस नहीं है।
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