जिले में टीबी के अलावा डेंगू, मलेरिया, कोविड और फाइलेरिया समेत होंगी तमाम जांच
गाजियाबाद। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता। वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जहां क्षय रोगियों को खोजने के लिए आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स को शामिल किया गया है वहीं जांच बढ़ाने की भी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए जिले को तीन अत्याधुनिक ट्रू-नेट मशीन आवंटित की गई हैं। जिले में पहले से 11 ट्रू-नेट मशीन हैं, अब संख्या बढ़कर 14 हो गई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ भवतोष शंखधर ने बताया कि जिले में हर माह औसतन 10 हजार से अधिक टीबी की जांच हो रही हैं। अभियान के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है। अब तीन नई मशीन मिलने से जांच की संख्या और बढ़ जाएगी। दरअसल एनएचएम और क्षय रोग विभाग की ओर से लगातार क्षय रोगी खोजने की प्रक्रिया को तेज करने पर जोरदिया जा रहा है, ऐसे में जांच के लिए अधिक मशीन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि शासन से मशीन इंस्टॉल करने का काम एजेंसी को दिया गया है। दो मशीन डासना और एक मशीन मोदीनगर ब्लॉक के लिए है।
यह भी पढ़े: मेरठ-दिल्ली की दूरी घटेंगीः जून के अंत में चलेगी रेपिड रेल
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. डीएम सक्सेना ने बताया कि नई ट्रू-नेट मशीन से टीबी के अलावा डेंगू, मलेरिया, कोविड, स्वाइन फ्लू, सिफलिस, पीलिया और हेपेटाइटिस-बी की भी जांच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स को शामिल किए जाने के बाद स्क्रीनिंग में अधिक लक्षण युक्त व्यक्ति सामने आएंगे और सभी लक्षण युक्त व्यक्तियों की जांच होना जरूरी है। अधिक जांच और पुष्टि होने पर उपचार शुरू कर ही टीबी संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है।
डीटीओ ने बताया कि फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है और जांच में देरी होने से संक्रमित के संपर्क में आने वालों को संक्रमण का खतरा रहता है,जबकि जांच के बाद पुष्टि होने पर उपचार शुरू कर दिया जाए तो दो सप्ताह बाद रोगी के संपर्क में आने वालों को संक्रमण फैलने की आशंका काफी कम हो जाती है।
यह भी पढ़े: दो बच्चों की मां ने जहर खाकर की आत्महत्या
तीन संसाधनों से होती है टीबी जांच
जिले में टीबी जांच के तीन साधन है। पहला साधन माइक्रोस्कोपिक से मैनुअल जांच होती है। दूसरा साधन ट्रू नेट मशीन और तीसरा साधन सीबी नेट मशीन से जांच की जातीहै। सीबी नेट मशीन की कीमत 50 लाख रुपए बताई गई है। सीबी नेट मशीन में एक साथ चार सैंपल की जांच होती है। जबकि ट्रू नेट मशीन में दो सैंपल की जांच एक साथ होसकती है। प्रतिदिन एक केंद्र पर 40 से 45 सैंपल की जांच की जाती है। जिले में 25 केंद्रों पर टीबी जांच की जाती है। जिले में 14 ट्रू-नेट मशीनें जिले को तीन अत्याधुनिक ट्रू-नेट मशीन आवंटित की गई हैं। जिले में पहले से 11 ट्रू-नेट मशीन हैं, अब संख्या बढ़कर 14 हो गई है।
इन केन्द्रों पर पहले से है मशीनें
शहरी स्वास्थ्य केंद्र खोड़ा, राजेन्द्रनगर स्थित ईएसआई हॉस्पिटल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पसौंडा, साहिबाबाद, शहरी स्वास्थ्य केंद्र विजयनगर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोनी, जिला क्षय रोग अस्पताल,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डासना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फरीदनगर, भोजपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोदीनगर में ट्रू नेट मशीनें पहले से लगी हुई हैं।