धर्मांतरण विरोधी बिल पारित, अविनाश गहलोत बोले- ‘भोले-भाले लोगों को लालच देकर परिवर्तन पर लगेगी रोक’

Jaipur anti-conversion bill news: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025’ ध्वनिमत से पारित हो गया। यह बिल जबरन, लालच या धोखे से होने वाले धर्मांतरण पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान करता है, जिसमें दोषियों को 3 से 10 साल की सजा और भारी जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, लव जिहाद के मामलों में विवाह को अमान्य घोषित करने और अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाने जैसी सख्ती का भी उल्लेख है। यह कानून पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के इंतजार में है।

कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने बिल पारित होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इस धर्मांतरण विरोधी बिल की आवश्यकता लंबे समय से थी। इस कानून के आने के बाद वह स्वयंसेवी संस्थाएं जो भोले-भाले लोगों को बहला-फुसलाकर, लालच देकर धर्म परिवर्तन करा रही थीं, उन पर रोक लगेगी। यह आस्था और कानून दोनों का उल्लंघन था। इस कानून से ऐसी गतिविधियों पर पूर्ण रोक लगेगी।” उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “जनता उनसे (विपक्ष) पूछेगी कि जब धर्मांतरण विरोधी बिल आ रहा था, तब आप क्या कर रहे थे? किस कारण से विरोध कर रहे थे? आपके पास ऐसा कौन-सा मुद्दा था जिसे छोड़कर आपने हंगामा किया? यह एक महत्वपूर्ण बिल था।”

स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फरवरी 2025 में विधानसभा में इस बिल को पेश किया था। बिल के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं- जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण पर 3 से 7 साल की सजा, नाबालिग, महिला या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के मामले में 7 से 10 साल की कैद, और लव जिहाद में शामिल शादियों को फैमिली कोर्ट द्वारा अमान्य घोषित करना। यदि धर्म परिवर्तन की मंशा से विवाह सिद्ध हो जाता है, तो ऐसी शादी रद्द हो सकेगी। साथ ही, स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगा। बिल में मास्टरमाइंड या सहयोगियों को भी समान सजा का प्रावधान है, और अपराध स्थल के रूप में आरोपी के घर को बुलडोजर से ध्वस्त करने की व्यवस्था भी जोड़ी गई है, जो इसे देश के अन्य राज्यों के कानूनों से सबसे सख्त बनाता है।

विपक्षी दल कांग्रेस ने बिल का विरोध करते हुए इसे ‘समाज को बांटने वाला’ और ‘गैर-जरूरी’ बताया। सदन में हंगामा इतना बढ़ गया कि चर्चा के दौरान कई विधायक निलंबित भी हुए। कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने कहा कि बिल पर पर्याप्त बहस नहीं हुई और यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करेगा। हालांकि, भाजपा ने इसे ‘आस्था की रक्षा’ का कदम बताते हुए समर्थन किया। मंत्री गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार जताते हुए कहा कि यह बिल प्रदेशवासियों की लंबी मांग को पूरा करता है।

यह बिल 2008 में वसुंधरा राजे सरकार के समय पेश हुआ था, लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने से अटक गया था। अब भजनलाल सरकार ने इसे और सख्त बनाकर फिर लाया है। देश के 11 अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड में भी ऐसे कानून हैं, लेकिन राजस्थान का बिल बुलडोजर प्रावधान के कारण सबसे कठोर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कानून आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कथित जबरन धर्मांतरण पर अंकुश लगाएगा, लेकिन इसके दुरुपयोग की आशंका भी जताई जा रही है।

बिल पारित होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह है, जबकि विपक्ष इसे अदालत में चुनौती देने की बात कर रहा है। यह कानून लागू होने पर राजस्थान 12वां राज्य बन जाएगा जहां धर्मांतरण विरोधी कानून होगा।

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