कुछ महीनों पहले, दिवाली के उत्सव के दौरान अनाया बंगार ने एक हृदयस्पर्शी तस्वीर ट्वीट की थी। फोटो में उनके साथ उनके माता-पिता—क्रिकेट स्टार संजय बंगार और कश्मीरा बंगार, उनका भाई अथर्वा और दादाजी—सभी नजर आ रहे थे। यह तस्वीर न केवल परिवार के एकजुट होने की ख़ुशी को दिखा रही थी बल्कि परिवार में कितना स्नेह और प्यार है, बल्कि अनाया के जीवन की एक लंबी और भावुक यात्रा की भी याद दिलाती है।
अनाया, जो अब 24 वर्ष की हैं, का जन्म एक क्रिकेट प्रेमी परिवार में हुआ था। उनके पिता संजय बंगार ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 12 टेस्ट और 30 वनडे मैच खेले हैं, और वे एक सफल कोच के रूप में भी जाने जाते हैं। लेकिन अनाया का अपना सफर क्रिकेट से अलग, एक व्यक्तिगत पहचान की खोज का रहा है। बचपन से ही वे लिंग असहजता (जेंडर डिस्फोरिया) से जूझ रही थीं। “मैं हमेशा से लड़की ही महसूस करती थी, लेकिन समाज और परिवार की अपेक्षाओं ने मुझे दबा रखा था,” अनाया ने बताया। किशोरावस्था में उन्होंने कई बार आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन परिवार का प्यार और समर्थन ने उन्हें संभाला।
2022 में, अनाया ने अपनी ट्रांजिशन की प्रक्रिया शुरू की। हार्मोन थेरेपी और सर्जरी के बाद वे पूरी तरह से एक ट्रांस महिला के रूप में उभरीं। लेकिन यह फैसला आसान नहीं था। परिवार ने शुरुआत में कड़ा विरोध किया। संजय बंगार, जो एक रूढ़िवादी पृष्ठभूमि से आते हैं, ने इसे स्वीकार करने में समय लगाया। “पापा को समझाने में दो साल लग गए। वे डरते थे कि समाज क्या कहेगा, लेकिन धीरे-धीरे वे बदल गए,” अनाया ने कहा। कश्मीरा बंगार ने भी भावनात्मक रूप से संघर्ष किया, लेकिन अब वे अनाया की सबसे बड़ी सहयोगी हैं। भाई अथर्वा ने हमेशा उनका साथ दिया। अनाया का कहना है, “हमारा सुलह पूरा नहीं हुआ है, लेकिन हम वहाँ पहुँच रहे हैं। दिवाली की तस्वीर इसका प्रमाण है।”
ट्रांजिशन के बाद अनाया को ऑनलाइन ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर अपमानजनक कमेंट्स और धमकियाँ आईं, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया। “ट्रोलिंग ने मुझे मजबूत बनाया। मैं अब अपनी कहानी साझा करने से नहीं डरती,” उन्होंने कहा। एक ट्रांस महिला के रूप में क्रिकेट में वापसी उनकी सबसे बड़ी लड़ाई है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सख्त नियमों के कारण ट्रांस एथलीट्स को महिला टीमों में जगह मिलना मुश्किल है। अनाया ने राज्य स्तर पर खेलना शुरू किया है और राष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाने का सपना देख रही हैं। “मैं साबित करना चाहती हूँ कि ट्रांस लोग भी उतने ही योग्य हैं। क्रिकेट मेरी पहचान है, और मैं इसे छोड़ूँगी नहीं,” उन्होंने दृढ़ता से कहा।
अनाया अब एक्टिविस्ट के रूप में भी उभरी हैं। वे ट्रांस राइट्स पर जागरूकता फैला रही हैं और युवाओं को अपनी पहचान अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। उनकी कहानी न केवल एक परिवार की एकजुटता की मिसाल है, बल्कि भारतीय समाज में लिंग विविधता को स्वीकार करने की जरूरत को भी रेखांकित करती है।

