Analysis Report: गुरुग्राम में मुसलमानों की आबादी बढती गई, मस्जिदों की संख्या घटती गई

हरियाणा सरकार लगातार दावा कर रही है कि जो और गुरुग्राम में हिंसा के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं, होते जा रहे हैं। लेकिन तिगरा गांव से लगी झुग्गी झोपड़िया में ज्यादातर ताले लग चुके हैं। इस बस्ती में अलग-अलग राज्यों से आए मजदूर निर्माणाधीन साइटों पर काम करते थे या काम ढूंढ रहे थे। अब वह सब वापस जा रहे हैं। 31 जुलाई 2023 को नूहू में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद तिगरा गांव में बनी मस्जिद में भीड़ ने आग लगा दी, इमाम मोहम्मद साद को पीट-पीटकर मार डाला।

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इसी सब से डर कर लोग गांव छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार गुड़गांव में मुस्लिम आबादी 80 हजार है जबकि माइग्रेंट मुस्लिम करीब 3 लाख 45 हजार है। दरअसल पुराने गुड़गांव में 1970 में मारुति सुजुकी ने पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खोला था। इसी के बाद दूरदराज के इलाकों से लोग यहां आते रहे और बसते चले गए। जनगणना 2001 के अनुसार गुरुग्राम में मुस्लिम आबादी 6 15 लाख थी। 2005 में इसे अलग मेवात जिला बना दिया गया। 2011 में गुरुग्राम की आबादी सवा 15 लाख हो गई। इसमें मुसलमानों की आबादी 70842 और आज की अनुमानित जनसंख्या 80760 बताई जा रही है। गुरुग्राम में कुल 22 मस्जिदे हैं जिसमें पुराने गुरुग्राम में 12 और नए में 10 है लेकिन केवल 13 मस्जिदों में ही नमाज होती है। पहले यानी 2018 से पहले 108 स्थान पर खुले में नमाज होती थी। 2018 में 34 स्थान पर और अब केवल चार स्थानों पर ही नमाज हो पाती है। 2007 में गुरुग्राम टाउनशिप प्लान तैयार करते वक्त धार्मिक स्थलों के लिए भी जगह दी गई थी। जिसमें 19 मंदिर से 9 चर्च 3 जैन मंदिर लेकिन मस्जिद के लिए जमीन नहीं मिल पाई। यही कारण है कि गुरुग्राम में लोग खुले में नमाज पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं। 2019 में विवादों के बाद खुले में नमाज पढ़ने की जगह केवल 4 ही रह गई। तिगरा गांव की मस्जिद पर विवाद हुआ लेकिन हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला मस्जिद न हटाने का दिया।

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मस्जिद हटाने को 6 अगस्त को महापंचायत हुई और महापंचायत में मस्जिद हटाने की मांग उठा दी गई। हालांकि गांव के पूर्व सरपंच अशराज कहते हैं कि बाहर से आए मुसलमान के यहां रहने से हमें कोई दिक्कत नहीं है, वह खाए कमाए। इन्हें कोई नहीं रोकता लेकिन मस्जिद रहेगी तो कभी भी बवाल हो सकता है। दंगों के बाद एफआईआर हुई है जिसमें दर्जनों लोगों को नामजद कराया गया और कई सौ लोगों को अज्ञात में रखा गया है। कुल मिलाकर कहा जाएं तो गुरुग्राम में मुसलामनों की आबादी बढती गई और मस्जिदों की संख्या घटती चली गइ।

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