अमेरिका को बड़ा झटका, भारत ने AMCA फाइटर जेट इंजन के लिए फ्रांस के साथ की डील

America gets a big shock News: भारत ने अपने महत्वाकांक्षी स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए इंजन निर्माण में बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस की प्रमुख कंपनी सैफ्रान (Safran) के साथ 120 किलोन्यूटन (kN) की ताकत वाला जेट इंजन विकसित करने के लिए साझेदारी को मंजूरी दे दी है। इस फैसले ने अमेरिका को तगड़ा झटका दिया है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी कंपनियों, विशेष रूप से जीई एयरोस्पेस, को भारत के साथ साझेदारी की उम्मीद थी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 को द इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम में इस डील की पुष्टि करते हुए कहा, “हम भारत में ही अपने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए इंजन निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। फ्रांस की कंपनी सैफ्रान के साथ मिलकर हम इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को शुरू करने जा रहे हैं।” यह साझेदारी भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूती देगी और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देगी।

डील की मुख्य बातें
– 120 kN का शक्तिशाली इंजन: भारत और सैफ्रान मिलकर 120 किलोन्यूटन की ताकत वाला इंजन विकसित करेंगे, जो AMCA Mk-2 के लिए डिज़ाइन किया जाएगा। यह इंजन सुपरक्रूज़ और स्टील्थ क्षमताओं से लैस होगा, जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत में इज़ाफा होगा।
– 100% तकनीक हस्तांतरण: सैफ्रान ने भारत को इस प्रोजेक्ट में पूर्ण तकनीक हस्तांतरण (100% Technology Transfer) का वादा किया है। इसका मतलब है कि डिज़ाइन, विकास, परीक्षण, प्रमाणन और उत्पादन भारत में ही होगा।
– 7 अरब डॉलर की लागत: इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 7 अरब डॉलर (लगभग 61,000 करोड़ रुपये) है, जो भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा निवेश है।
– DRDO और सैफ्रान की साझेदारी: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इस प्रोजेक्ट को सैफ्रान के साथ मिलकर संचालित करेगा। DRDO की गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) इस प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाएगी।

अमेरिका को क्यों लगा झटका?
इस डील से पहले, अमेरिका की जीई एयरोस्पेस और ब्रिटेन की रोल्स रॉयस जैसी कंपनियां भी AMCA के लिए इंजन आपूर्ति की दौड़ में थीं। अमेरिका ने GE-414 इंजन के साथ भारत को तकनीक हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया था, लेकिन भारत ने सैफ्रान के प्रस्ताव को अधिक फायदेमंद माना। सैफ्रान का वादा न केवल पूर्ण तकनीक हस्तांतरण का है, बल्कि भारत में एक मजबूत एयरोस्पेस इकोसिस्टम स्थापित करने का भी है, जिसमें भविष्य में अन्य विमान इंजनों का निर्माण और अनुसंधान शामिल है।

इसके अलावा, हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को बढ़ावा दे दिया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह फैसला ट्रंप प्रशासन को एक रणनीतिक जवाब भी हो सकता है, जो भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं पर जोर देता है।

AMCA प्रोजेक्ट का महत्व
AMCA भारत का पहला स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है, जिसे DRDO और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) मिलकर विकसित कर रहे हैं। यह जेट आधुनिक युद्ध की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, जिसमें स्टील्थ डिज़ाइन, आंतरिक हथियार बे, और उन्नत एयर इंटेक सिस्टम शामिल हैं। शुरुआती AMCA यूनिट्स GE-414 इंजन से उड़ान भरेंगी, लेकिन Mk-2 संस्करण में सैफ्रान का 120 kN इंजन इस्तेमाल होगा। भारतीय वायुसेना ने 126 AMCA जेट्स को शामिल करने की योजना बनाई है, जिसमें से शुरुआती दो स्क्वाड्रन अमेरिकी इंजनों से और बाकी फ्रांस-भारत साझेदारी से बने इंजनों से लैस होंगे।

फ्रांस के साथ बढ़ती साझेदारी
यह डील भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी। सैफ्रान पहले से ही भारत में राफेल फाइटर जेट के M88 इंजन के लिए हैदराबाद में एक MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर, और ओवरहॉल) सुविधा स्थापित कर रहा है। यह दुनिया का पहला केंद्र होगा जहां फ्रांस के बाहर M88 इंजन की मरम्मत होगी। इसके अलावा, सैफ्रान और भारत हेलीकॉप्टर इंजनों के निर्माण में भी सहयोग कर रहे हैं।

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील भारत के रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। अभी तक भारत अपने फाइटर जेट्स के लिए विदेशी इंजनों पर निर्भर रहा है, जिससे रक्षा तैयारियों में देरी और लागत में वृद्धि हुई है। सैफ्रान के साथ यह साझेदारी न केवल AMCA के लिए शक्तिशाली इंजन प्रदान करेगी, बल्कि भारत को भविष्य में अन्य स्वदेशी विमानों और ड्रोन्स के लिए इंजन निर्माण की क्षमता भी देगी।

निष्कर्ष
भारत का फ्रांस के साथ यह समझौता न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती रणनीतिक ताकत को भी दिखा रहा है। अमेरिका को इस डील से बाहर रखने का फैसला भारत की स्वतंत्र नीति और ‘मेक इन इंडिया’ की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। जैसे-जैसे AMCA प्रोजेक्ट आगे बढ़ेगा, यह भारत को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार एक ताकतवर वायुसेना प्रदान करेगा, जो आसमान में ‘बादशाह’ की तरह राज करेगी।

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