नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अखबार की खबरों के आधार पर याचिका दायर की गई है और अखबार की खबरें भगवत गीता नहीं होतीं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कई गैरजिम्मेदाराना आरोप लगाए हैं। याचिका में राष्ट्रपति को भी शामिल किया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता को इसके परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि हम आपको याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं देंगे, हम याचिका खारिज कर रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुमार्ना लगाने का भी आदेश दिया।
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फोरम आॅफ इंडियन लेजिस्ट्स ने दायर याचिका में कहा था कि प्रोफेसर योगेश सिंह की कुलपति के पद पर नियुक्ति नियमों का उल्लंघन करके की गई थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने एक अखबार की खबर का हवाला देते हुए कहा कि योगेश सिंह का इकलौता नाम राष्ट्रपति को नियुक्ति के लिए भेजा गया था। तब कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एएसजी विक्रमजीत बनर्जी से कहा कि वे राष्ट्रपति को भेजे गए नाम उपलब्ध कराएं। तब मेहता ने कहा कि लंच तक नाम उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
लंच के बाद जब इस मामले पर सुनवाई हुई तो मेहता ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को पांच नाम भेजे गए थे। मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने योगेश सिंह के कुलपति नियुक्त होने के दो साल के बाद याचिका दायर की है। तब याचिकाकर्ता के वकील ने फिर अखबार की खबर का हवाला दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि अखबार की खबरें भगवत गीता नहीं होती हैं।