meerut news पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शैक्षिक केंद्र चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय इन दिनों गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है। सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट आदेश प्रधान ने कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला और उनके सहयोगियों पर करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री, जिलाधिकारी मेरठ और शिक्षा विभाग को शिकायत पत्र सौंपा है।
आॅडिट रिपोर्ट में विश्वविद्यालय में फर्जी नियुक्तियां, नियम-विरुद्ध उत्तर पुस्तिकाओं और प्रयोगात्मक कॉपियों की खरीद, अवैध भवन निर्माण और सरकारी धन के दुरुपयोग जैसे गंभीर मामलों का खुलासा हुआ। आरोप है कि कुलपति ने दिसंबर 2021 में पदभार संभालने के बाद प्रशासनिक और वित्तीय तंत्र को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया। विशेष रूप से मेरठ विकास प्राधिकरण से बिना मानचित्र स्वीकृति फामेर्सी विभाग और मूल्यांकन भवन की दो-दो मंजिलों का निर्माण कराया गया, जिस पर 14.54 करोड़ रुपए खर्च दिखाए गए। 2022-23 में मरम्मत व अनुरक्षण पर 11 करोड़ और 2023-24 में 150 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च किया गया, जबकि औचित्य नहीं था।
आॅडिट में 39 लाख अतिरिक्त उत्तर पुस्तिकाओं और सात लाख प्रयोगात्मक कॉपियों की खरीद पर 4.88 करोड़ रुपए खर्च करने का भी खुलासा हुआ। शिकायत में कुलपति पर नासर और रूबी बनो की फर्जी नियुक्तियों का आरोप है। नासर को ड्राइवर और रूबी बनो को लेखा विभाग का कर्मचारी दिखाया गया। इस मामले में मेडिकल थाना, मेरठ में शिकायत दर्ज है और जांच चल रही है। एडवोकेट आदेश प्रधान ने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रों को समय पर मार्कशीट, डिग्री, माइग्रेशन और ट्रांसक्रिप्ट नहीं दिए जाते, जबकि इसके लिए अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। प्रोविजनल डिग्री के लिए 250 रुपए और अर्जेंट डिग्री के लिए 1000 रुपए लिए जाते हैं। पीएचडी प्रवेश परीक्षा भी कई वर्षों से आयोजित नहीं की गई, जिससे लाखों छात्र शोध के अवसरों से वंचित हैं। इस दौरान अनुज भड़ाना, प्रशांत चौधरी, आकाश भड़ाना, तरुण मलिक, गौरव राणा, केशव गिरी, शशिकांत गौतम, नकुल स्याल, राजिंद्र भाटी, नितिन गर्ग, बॉबी कैलाशपुर, राहुल जाटव, शान मोहम्मद और ललित यादव।
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