Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने जिम में पुरुष ट्रेनर्स द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षण दिए जाने के मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है कि पुरुष जिम ट्रेनर बिना पर्याप्त सुरक्षा और महिलाओं की गरिमा का ध्यान रखे उन्हें प्रशिक्षण दे रहे हैं। जस्टिस यादव ने इस प्रथा को महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के दृष्टिकोण से अनुचित बताया।
जस्टिस यादव ने अपने बयान में कहा, “जिम जैसे स्थान, जहां शारीरिक प्रशिक्षण होता है, वहां महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। पुरुष ट्रेनर्स द्वारा प्रशिक्षण के दौरान उचित दूरी, संवेदनशीलता और नैतिकता का पालन नहीं किया जाना चिंताजनक है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे मामलों में सख्त दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है।
यह बयान जस्टिस यादव ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें जिम और फिटनेस सेंटरों में महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे उठाए गए थे। कोर्ट ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिम में प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। साथ ही, जिम संचालकों को भी नियमों का कड़ाई से पालन करने की चेतावनी दी गई।
यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस शेखर यादव ने सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखी हो। इससे पहले भी वह सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहे हैं। उनके इस बयान ने एक बार फिर समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान जिम और फिटनेस सेंटरों में सुरक्षा मानकों को और सख्त करने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब मांगा है, ताकि इस मुद्दे पर ठोस नीति बनाई जा सके।

