सऊदी अरब में 1952 से शराब पर सख्त पाबंदी है, जब राजा अब्दुलअजीज के बेटे ने नशे की हालत में एक ब्रिटिश राजनयिक की हत्या कर दी थी। हालांकि, निजी पार्टियों, गेटेड आवासीय परिसरों और अमीर सऊदी घरों में घरेलू शराब या आयातित बोतलें चुपके से इस्तेमाल होती रही हैं। ब्रांडेड शराब अक्सर दूतावासों के माध्यम से अनौपचारिक बाजार में आती थी, लेकिन जनवरी 2024 में सरकार ने दूतावासों की असीमित आयात सुविधा समाप्त कर दी।
2024 की शुरुआत में रियाद के डिप्लोमैटिक क्वार्टर में पहली आधिकारिक शराब की दुकान खोली गई, जो शुरू में केवल गैर-मुस्लिम विदेशी राजनयिकों के लिए थी। खरीदारी के लिए ऐप के माध्यम से रजिस्ट्रेशन, विदेश मंत्रालय से क्लियरेंस कोड और मासिक खरीद सीमा जैसी सख्त शर्तें थीं। अब इस दुकान तक पहुंच को बढ़ा दिया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अब गैर-मुस्लिम विदेशी निवासी जो मासिक कम से कम 50,000 रियाल (लगभग 11 लाख रुपये या 13,300 डॉलर) कमाते हैं, वे भी खरीदारी कर सकते हैं। प्रवेश के लिए वेतन प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य है।
यह बदलाव सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ‘विजन 2030’ कार्यक्रम का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य तेल-निर्भर अर्थव्यवस्था को विविधीकृत करना, पर्यटन बढ़ाना और विदेशी निवेश आकर्षित करना है। उच्च शिक्षित विदेशी पेशेवरों को लुभाने के लिए सऊदी का ‘शुष्क’ सामाजिक जीवन बाधा बन रहा था। 2034 में यहां फीफा विश्व कप का आयोजन होगा, जहां विदेशी दर्शकों को शराब की उम्मीद होगी। पड़ोसी दुबई की तरह शराब बिक्री से राजस्व और कर वसूली बढ़ाने का भी इरादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चरणबद्ध ढील भविष्य में और विस्तार कर सकती है, हालांकि अभी सऊदी के 32 मिलियन लोगों में से अधिकांश के लिए कुछ नहीं बदला है।
स्थानीय मीडिया और धार्मिक अधिकारियों ने इस पर चुप्पी साध रखी है, जो राजनीतिक दमन के माहौल को बढ़ावा दे रहा है। कुछ रियाद निवासियों का मानना है कि यह व्यापक उपलब्धता की दिशा में पहला कदम है। प्रीमियम रेसिडेंसी वीजा धारकों (जैसे वरिष्ठ कार्यकारी, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर्मचारी) को प्राथमिकता दी गई है, जहां औसत मासिक वेतन मात्र 10,250 रियाल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 12,500 से अधिक प्रीमियम वीजा धारकों ने अब तक खरीदारी की है।
2026 तक जेद्दा और धाहरण जैसे अन्य शहरों में भी ऐसी दुकानें खोलने की योजना है। यह बदलाव सऊदी अरब की परंपरा और आधुनिकीकरण के बीच संतुलन की कोशिश को दिखाता है, लेकिन धार्मिक संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए।
फिलहाल, यह सुविधा केवल धनी विदेशियों तक सीमित है, जो सऊदी को वैश्विक पर्यटन और व्यवसाय केंद्र बनाने की दिशा में एक सतर्क कदम है।

