सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अब परिवार को साधने में अहम भूमिका निभा सकते है। चर्चा है कि नाराज चल रहे चाचा शिवपाल यादव को यदि नेताजी की खाली हुई सीट से मौका दिया जाए तो चाचा और भतीजे के बीच सियासी और एकता का आधार तैयार हो सकता है। दोनो के बीच सुलह हो सकती है।
मुलायम सिंह यादव के दिवंगत होने से समाजवादी पार्टी की सियासत और सैफई परिवार में एक बड़ा खालीनप पैदा हो गया है। इसके चलते अखिलेश यादव के सामने यह जिम्मेदारी है कि वह परिवार और पार्टी दोनों को साधें। इसकी शुरुआत का मौका मैनपुरी लोकसभा सीट का उपचुनाव भी हो सकता है। बताया जा रहा है कि मैनपुरी से शिवपाल यादव को यदि यहां से मौका दिया जाए तो चाचा और भतीजे के बीच सियासी और एकता हो जाएगी। मैनपुरी में इस बार सहानुभूति पर वोट मिलना तय माना जा रहा है और एकता हुई तो यह सपा के लिए और बेहतर होगा।
शिवपाल को मौका देने से सपा को मिलेगा फायदा
एक बार से दावेदारी कर सकते हैं। चर्चा धर्मेंद्र यादव और तेजप्रताप यादव के नामों की भी चल रही है, लेकिन ये दोनों नेता पहले से ही अखिलेश यादव के खेमे में हैं। ऐसे में शिवपाल यादव से एकता की कोशिश पर कोई काम नहीं हो सकेगा। इसलिए सपा के लिए सबसे मुफीद हो सकता है कि वह शिवपाल यादव को ही मैनपुरी से मौका दे दे। हालांकि कहा जा रहा है कि धर्मेंद्र यादव का नाम सबसे आगे चल रहा है, जो पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं। धर्मेंद्र यादव को अखिलेश के करीबियों में गिना जाता है। सपा के नेता भी कहते हैं कि धर्मेंद्र यादव काफी सक्रिय रहते हैं और लोगों से मिलते रहते हैं।