Air pollution: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं पर चिंता जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे हस्तक्षेप के बाद ही हर साल तेजी आती है. SC ने कहा कि हम एक्सपर्ट नहीं हैं, हमें सिर्फ समाधान चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिवों को बैठक कर पराली और प्रदूषण की समस्या पर काम करने के लिए कहा था। यही वजह रही कि आज यानी 10 नवंबर की सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने सबसे पहले यही पूछा कि आप लोगों ने क्या किया?
इस पर वरिष्ठ वकील एएनएस नंदकर्णी ने बताया कि वह स्मॉग टावर बंद नहीं हुआ था बल्कि मौसम ही अचानक बदल गया। स्मॉग टावर बरसात में काम नहीं करता।
इस पर जस्टिस कौल ने कहा, हर साल ये इसी समय बदलता है, लेकिन आप छह साल से समस्या सुलझा नहीं पाए। हम डाटा को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।
इसके बाद एमिकस क्यूरे अपराजिता सिंह ने कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें बताया गया था कि प्रदूषण के सोर्स ज्ञात हैं। तब जस्टिस कौल ने पूछा फिर काम क्यों नहीं हो रहा? इस पर अपराजिता सिंह बोलीं, कोई इच्छाशक्ति ही नहीं है। जब भी मामला आता है यह अदालत फटकार लगाती है।
अदालत ने कहा हम नतीजे देखना चाहते हैं किसी टेक्निकल को नहीं। अपराजिता सिंह बोलीं, सभी परेशानियां उठाई गईं हैं और सभी हल भी मौजूद हैं। लेकिन फिर भी यह कोर्ट फटकार ही लगा रही है। इस पर अदालत ने कहा, साल दर साल यह समस्या तब ही उठती है जब हम मामले में हस्तक्षेप करते हैं। Air pollution:
21 नवंबर को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रदूषण की स्थिति को राज्य के कैबिनेट सेक्रेटरी मॉनिटर करेंगे. दिल्ली सरकार ने कहा कि वे दीवाली के बाद कृत्रिम बारिश कराना चाहते हैं. इसको लेकर कई एजेंसियों से इजाजत लेनी की जरूरत होगी. केन्द्र से भी इजाजत चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि इसके लिए हमारी इजाजत की जरूरत नहीं है. AG यहां हैं. आप उनसे बात करिए.
SC ने कहा कि धान की फसल के विकल्प के तौर पर दूसरी फसल पर भी काम करना होगा. धान पर दी जाने वाली MSP को नही हटाएंगे. कम पानी वाले इलाकों में धान की फसल लेने को चरणबद्ध ढंग से घटाना होगा. ये तो लंबे समय की कार्ययोजना है. कोर्ट इस पर 21 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा.
‘प्रदूषण में पराली का 24% योगदान’
बढ़ते प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका पर एमिकस अपराजिता सिंह ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से कुल प्रदूषण में 24% योगदान होता है, जबकि कोयला और फ्लाई ऐश 17% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. वहीं, कुल प्रदूषण का 16% वाहनों से फैलता है.
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