Ahmedabad News: सरकारी कॉलेजों का निजीकरण और बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था, डीयू छात्र संघ के प्रेसिडेंट ने उठाई आवाज़

Ahmedabad News: गुजरात के अहमदाबाद में सरकारी कॉलेजों को तेजी से निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया में शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। शहर के कई सरकारी कॉलेजों में न तो पर्याप्त बुनियादी ढांचा है और न ही पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षकों की पर्याप्त संख्या। ऐसे में, देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के गृह राज्य में शिक्षा की यह दयनीय स्थिति चिंता का विषय बन रही है।

स्थानीय छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि सरकारी कॉलेजों में संसाधनों की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या थी, और अब निजीकरण के नाम पर स्थिति और खराब होती जा रही है। कई कॉलेजों में लाइब्रेरी, प्रयोगशालाएं और बुनियादी सुविधाएं जैसे शौचालय और पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, शिक्षकों की कमी के कारण कई विषयों की कक्षाएं नियमित रूप से नहीं चल रही हैं।

एक छात्र, राहुल परमार ने बताया, “हमारे कॉलेज में पिछले दो साल से रसायन विज्ञान का कोई स्थायी प्रोफेसर नहीं है। गेस्ट लेक्चरर आते हैं, लेकिन उनकी कक्षाएं अनियमित होती हैं। निजीकरण की बात तो हो रही है, लेकिन सुविधाएं सुधारने की कोई ठोस योजना नहीं दिखती।”

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि निजीकरण के इस दौर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सख्त नीतियां बनानी होंगी। प्रोफेसर अनिल शर्मा, जो अहमदाबाद के एक सरकारी कॉलेज में पढ़ाते हैं, कहते हैं, “निजीकरण अपने आप में बुरा नहीं है, लेकिन इसे लागू करने से पहले मौजूदा कॉलेजों की स्थिति सुधारना जरूरी है। अगर बुनियादी सुविधाएं और शिक्षक ही नहीं होंगे, तो निजीकरण से क्या फायदा?”

जब देश के शीर्ष नेताओं का गृह राज्य शिक्षा के मामले में इतनी चुनौतियों का सामना कर रहा है, तो अन्य राज्यों की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। स्थानीय लोग और छात्र संगठन इस मुद्दे पर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को नजरअंदाज करना भविष्य की पीढ़ियों के लिए घातक साबित हो सकता है।

सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है। सवाल यह है कि क्या गुजरात सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी, या यह मुद्दा केवल राजनीतिक चर्चाओं तक सीमित रह जाएगा?

प्रमुख मंदिरों पर पुलिस का कड़ा पहरा, डीसीपी नोएडा ने संभाली कमान

यहां से शेयर करें