दो मैचों की सीरीज का आगाज कोलकाता के ईडन गार्डन्स में हुआ, जहां दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 30 रनों से हराया। फिर गुवाहाटी के एसीए स्टेडियम में दूसरा टेस्ट भारत के लिए काल का रूप ले आया। दक्षिण अफ्रीका ने पहली पारी में 489 रन बनाए (मुथुसामी 109, जानसेन 93), जबकि भारत की ओर कुलदीप यादव ने 4 विकेट लिए। दूसरी पारी में दक्षिण अफ्रीका ने 260/5 पर घोषणा की, भारत को 549 रनों का लक्ष्य दिया। जवाब में भारत 140 पर ढेर हो गया—सिर्फ रवींद्र जडेजा (54) ने कुछ संघर्ष दिखाया। साइमन हार्मर की 6 विकेट हॉल ने भारत को धूल चटा दी।
यह भारत की टेस्ट इतिहास की सबसे बड़ी हार रनों से (408) एक है। एएसपीएन क्रिकइंफो के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका ने 25 साल बाद भारत में सीरीज जीती—पिछली बार 2000 में 2-0 से। एक न्यूज़ चैनल के रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने घर पर तीन व्हाइटवॉश झेले हैं, जिनमें से दो दक्षिण अफ्रीका के हाथों। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) में भारत की रैंकिंग 5वें स्थान पर खिसक गई, फाइनल की दौड़ मुश्किल हो गई। दक्षिण अफ्रीकी कप्तान टेंबा बावुमा ने कहा, “भारत में 2-0 से जीतना सपने जैसा है। हमने चोटों के बावजूद दबदबा बनाए रखा।”
डी विलियर्स ने गंभीर को “जीजी” कहकर संबोधित किया और कहा, “मैं नहीं जानता कि गंभीर नेतृत्व में कैसे हैं। लेकिन खिलाड़ी के रूप में वे भावुक थे। अगर चेंज रूम में भी यही है, तो भावुक कोच होना मुश्किल साबित हो सकता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई फिक्स्ड फॉर्मूला नहीं है—कुछ खिलाड़ी पूर्व खिलाड़ी कोच से सहज होते हैं, तो कुछ अनुभवी कोचिंग बैकग्राउंड वाले से।
डी विलियर्स ने दक्षिण अफ्रीका के कोच शुकरी कॉनराड की तारीफ की, जिन्होंने टीम में शांति लाई। उन्होंने गैरी कर्स्टन का उदाहरण दिया, जिनके तहत उन्होंने खेला था: “कर्स्टन पूर्व खिलाड़ी थे, गंभीर की तरह। कुछ खिलाड़ी महान पूर्व खिलाड़ी से प्रेरणा लेते हैं।” डी विलियर्स ने गंभीर, मोर्ने मोर्केल और रेयान टेन डॉशेटे के साथ कभी नहीं खेला, इसलिए ड्रेसिंग रूम डायनामिक्स पर पूरी तरह कमेंट नहीं कर सके। लेकिन उनकी बात ने बहस को हवा दे दी।
प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर #GautamGambhirOut ट्रेंड कर रहा है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यूजर्स ने डी विलियर्स के बयान को शेयर किया, एक यूजर ने लिखा, “भावुक कोच टीम को अस्थिर कर सकता है। बीसीसीआई को सोचना चाहिए।” पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने गंभीर का बचाव किया: “खिलाड़ी मैदान पर प्रदर्शन करें, कोच को दोष क्यों? गंभीर ने चैंपियंस ट्रॉफी जिताई थी।” गंभीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मेरा भविष्य बीसीसीआई तय करेगी। मैं वही हूं जिसने इंग्लैंड में ड्रॉ और चैंपियंस ट्रॉफी दिलाई। टेस्ट में 18 में से 10 हार, लेकिन सफेद धुलाई पर जिम्मेदारी लेता हूं।”
सौरव गांगुली, माइकल वॉन और आर अश्विन जैसे पूर्व खिलाड़ियों ने भारत की खराब रणनीति, स्किल्स और बॉडी लैंग्वेज पर सवाल उठाए। आउटलुक इंडिया के अनुसार, गंभीर के तहत भारत ने एशिया कप और चैंपियंस ट्रॉफी जीती, लेकिन टेस्ट में फेल साबित हुए। दक्षिण अफ्रीका के मार्को जानसेन की शानदार कैच ने सीरीज सील की।
अगली चुनौती 30 नवंबर से रांची में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की ओडीआई सीरीज है। विशेषज्ञों का कहना है कि गंभीर को टेस्ट फोकस बढ़ाना चाहिए, वरना दबाव बढ़ेगा। यह हार भारत के घरेलू रिकॉर्ड को धक्का देगी, जहां 12 साल तक कोई सफेद धुलाई नहीं हुई थी। क्रिकेट.कॉम की रिपोर्ट में कहा गया कि भावुकता खिलाड़ी के लिए ताकत है, लेकिन कोचिंग में संतुलन जरूरी।
यह सीरीज न केवल हार का प्रतीक है, बल्कि कोचिंग शैली पर बहस का। क्या बीसीसीआई बदलाव लाएगी? इंतजार ही जवाब है।

