दंगल के बाद बुलिमिया और मिर्गी के पड़े दौरे, अभिनेत्री ने खोले राज

Fatima Sana Shaikh/Dangal News: बॉलीवुड अभिनेत्री फातिमा सना शेख, जिन्हें आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘दंगल’ में गीता फोगाट के किरदार के लिए जाना जाता है, ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में अपने दो बड़े स्वास्थ्य संघर्षों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि ‘डंगल’ के लिए वजन बढ़ाने के बाद उन्हें बुलिमिया (एक गंभीर खाने की बीमारी) हो गई थी, जिससे वह दो साल तक जूझती रहीं। साथ ही उन्होंने अपनी मिर्गी (एपिलेप्सी) की बीमारी और समाज के गलत नज़रिए पर भी खुलकर चर्चा की। यह इंटरव्यू रिया चक्रवर्ती के पॉडकास्ट ‘चैप्टर 2’ में हुआ।

दंगल के बाद शुरू हुई बुलिमिया की जंग
फातिमा ने बताया कि ‘दंगल’ में रेसलर की भूमिका के लिए उन्हें जानबूझकर काफी वजन बढ़ाना पड़ा था। इसके लिए वह रोज़ाना 2500-3000 कैलोरी लेती थीं और तीन-तीन घंटे ट्रेनिंग करती थीं। फिल्म खत्म होने के बाद ट्रेनिंग कम हो गई, लेकिन खाने की आदत नहीं बदली। नतीजा यह हुआ कि वह बहुत अनफिट और अस्वस्थ हो गईं।

उन्होंने कहा,
“खाना मेरा कम्फर्ट बन गया था। मैं घंटों तक लगातार खाती रहती थी। फिर खुद से नफरत करती थी कि मेरे ऊपर कोई कंट्रोल ही नहीं है। मैं एक्सट्रीम में काम करती हूँ – या तो बहुत खाऊंगी या फिर भूखा रहूंगी।”

इसके चलते उन्हें दो साल तक बुलिमिया रहा। वह खुद को बहुत सख्त डाइट में रखती थीं और हर समय खाने के बारे में सोचती रहती थीं। घर से बाहर निकलना भी बंद कर दिया था। उनकी सह-कलाकार और दोस्त सान्या मल्होत्रा ने उन्हें इस अस्वस्थ रिश्ते की याद दिलाई थी, लेकिन उस वक्त फातिमा इनकार करती रहीं। बाद में उन्हें शर्मिंदगी हुई और उन्होंने महसूस किया कि यह उनकी मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा है।

अब वह बेहतर हो रही हैं। उन्होंने कहा,
“अब भी कभी-कभी बिंज ईटिंग हो जाती है, लेकिन मैं खुद को गिल्ट नहीं देती। मैंने इसे चुना है। यह जीने का तरीका नहीं था कि मैं घर से बाहर ही न निकलूं।”

उन्होंने सोशल मीडिया (खासकर इंस्टाग्राम) को भी ज़िम्मेदार ठहराया कि वहां लड़कियों में ‘परफेक्ट बॉडी’ के लिए भूखा रहने का दबाव डाला जाता है।

मिर्गी की बीमारी और शुरुआती इनकार
फातिमा कई सालों से मिर्गी (एपिलेप्सी) से भी जूझ रही हैं। शुरू में उन्हें दवाइयाँ लेने में बहुत हिचकिचाहट हुई। उन्होंने बताया,
“मैं सोचती थी कि मुझे कुछ हुआ ही नहीं है। क्यों मुझे ‘पागलों वाली दवाई’ दे रहे हो? क्योंकि समाज में मिर्गी को पागलपन, भूत-प्रेत या ड्रग्स से जोड़ा जाता है।”

अब वह सुबह, शाम और रात को नियमित दवाइयाँ लेती हैं और हालत काफी कंट्रोल में है। शूटिंग के दौरान भी कई बार अटैक आ चुके हैं, लेकिन उनके साथ काम करने वाले लोग बहुत सपोर्टिव हैं। फिर भी पहले उन्हें बहुत चिंता रहती थी कि कहीं पापाराज़ी के सामने अटैक न आ जाए।
उन्होंने कहा,

“मेरी दुनिया ने इसे स्वीकार कर लिया है। अब यह मेरी ज़िंदगी का हिस्सा है, इसके साथ जीना सीख लिया है।”

फातिमा की यह खुली बातचीत मेंटल हेल्थ और पुरानी बीमारियों को लेकर समाज में फैली गलत धारणाओं को तोड़ने का काम कर रही है। उनके मुताबिक, बाहर से सब ठीक दिखता है, लेकिन अंदर का दर्द सिर्फ मरीज़ ही समझता है।

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