ghaziabad news इंदिरापुरम की नगर निगम को हैंडओवर प्रक्रिया को पूरे 11 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) से भूमि का आवंटन नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप, गाजियाबाद नगर निगम के प्रतिदिन 150 मैट्रिक टन कूड़े का निस्तारण करने के बावजूद, इस दिशा में एक स्थायी समाधान लंबित है।
नगर निगम स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जीडीए के जरिए लगभग 10,000 वर्ग मीटर भूमि कचरा निस्तारण के लिए उपलब्ध कराई जानी थी, जिसकी फाइल अभी तक अटकी हुई है। इसके साथ ही ड्रोन सर्वे रिपोर्ट भी अभी तक लंबित है, जिससे ठोस अपशिष्ट निस्तारण के लिए जरूरी प्रक्रिया में देरी हो रही है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश ने बताया कि महापौर और नगर आयुक्त के निदेर्शानुसार, इंदिरापुरम क्षेत्र के पार्षदों के सहयोग से मुख्य और आंतरिक मार्गों की सफाई व्यवस्था को व्यवस्थित किया गया है। प्रत्येक घर से कूड़े का संग्रह हो रहा है, और नागरिकों को गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग रखने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
एमआरएफ (मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी ) सेंटर पर भी नियमित रूप से कूड़ा छंटाई और निस्तारण की कार्रवाई की जा रही है।
200 सफाई कर्मियों की टीम तैनात, लेकिन जमीन बनी बाधा
नगर निगम ने इंदिरापुरम में स्वच्छता व्यवस्था के लिए 200 सफाई कर्मियों की टीम लगाई है, जो पूरे क्षेत्र में सफाई अभियान चला रही है। लेकिन ठोस अपशिष्ट के दीर्घकालिक समाधान के लिए जरूरी जमीन का न मिल पाना, एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है।
जनप्रतिनिधियों और विभागों के बीच समन्वय, लेकिन समाधान अधूरा
नगर निगम और जीडीए के बीच समन्वयात्मक प्रयास जारी हैं। इंदिरापुरम क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से हैंडओवर के बाद विकास कार्यों में गति आई है, लेकिन कूड़ा निस्तारण के लिए जरूरी आधारभूत संरचना के अभाव में व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
नगर निगम का कहना है कि जैसे ही भूमि आवंटन और ड्रोन सर्वे रिपोर्ट को मंजूरी मिलती है, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की प्रक्रिया तेज, अधिक व्यवस्थित और टिकाऊ हो सकेगी।
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