नॉर्थ राइन-वेस्टफालिया में मेयर चुनावों के रनऑफ में एएफडी को तीनों शहरों में बुरी हार

Berlin News: जर्मनी के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन-वेस्टफालिया (एनआरडब्ल्यू) में रविवार को हुए मेयर चुनावों के दूसरे दौर (रनऑफ) में धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को तीन प्रमुख शहरों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। गेलसेनकिर्चेन, डुइसबर्ग और हागेन जैसे रूहर क्षेत्र के औद्योगिक शहरों में एएफडी के उम्मीदवारों को उनके प्रतिद्वंद्वियों से भारी अंतर से हार मिली, जो राज्य स्तर पर पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद एक बड़ा झटका है।

पहले दौर के चुनाव 14 सितंबर को हुए थे, जहां एएफडी ने अपनी वोट शेयर को लगभग तिगुना कर 14.5% तक पहुंचा लिया था, जो राज्य की परिषदों और जिला परिषदों में तीसरा स्थान हासिल करने के लिए काफी था। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के 22.1% वोटों के बाद यह उपलब्धि थी। लेकिन रनऑफ में, जहां पहले दौर में किसी उम्मीदवार को 50% से अधिक वोट न मिलने पर दूसरा दौर होता है, एएफडी के उम्मीदवारों को मुख्यधारा की पार्टियों ने करीब-करीब एकजुट होकर हरा दिया।

शहरवार नतीजे:
• गेलसेनकिर्चेन: यहां एसपीडी की एंड्रिया हेंजे ने एएफडी के नॉर्बर्ट एमरिक को 66.9% के मुकाबले 33.1% वोटों से हराया। यह शहर जर्मनी में बेरोजगारी दर के मामले में सबसे ऊपर है और संरचनात्मक समस्याओं से जूझ रहा है, जहां एएफडी ने पहले दौर में 29.8% वोट हासिल किए थे।
• डुइसबर्ग: एसपीडी के सोरेन लिंक ने एएफडी के कारस्टेन ग्रॉस को 78.5% के खिलाफ सिर्फ 21.5% वोटों पर रोका। यह जीत एसपीडी के लिए औद्योगिक केंद्रों में अपनी पकड़ बनाए रखने का संकेत है।
• हागेन: ईसाई डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के डेनिस रेबाइन ने एएफडी के माइकल आइचे को 71.7% वोटों से 28.3% पर मात दी। यहां एसपीडी और सीडीयू ने एएफडी को रोकने के लिए एक-दूसरे का समर्थन करने का ऐलान किया था।

ये रनऑफ चुनाव फेडरल ब्लैक-रेड गठबंधन सरकार के गठन के बाद पहला बड़ा मूड टेस्ट माने जा रहे थे। सीडीयू ने ग्रामीण इलाकों में मजबूत प्रदर्शन किया, जबकि एसपीडी ने औद्योगिक शहरों पर कब्जा जमाए रखा। एएफडी की हार को विशेषज्ञ मुख्यधारा पार्टियों की एकजुटता का परिणाम बता रहे हैं, जो आप्रवासन-विरोधी भावनाओं पर सवार होकर उभर रही इस पार्टी को शीर्ष पदों से दूर रखने में सफल रही।

राज्य में कुल 148 रनऑफ चुनाव हुए, लेकिन एएफडी केवल इन्हीं तीन शहरों में दूसरे दौर तक पहुंची थी—यह राज्य के इतिहास में पहली बार था। फिर भी, पार्टी की वोट शेयर में वृद्धि से राष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ गई हैं, खासकर 2025 के फेडरल चुनावों से पहले। चांसलर फ्रेडरिक मर्ज की सीडीयू सरकार के लिए यह नतीजे राहत की सांस हैं, लेकिन एएफडी की बढ़ती पैठ एक सिरदर्द बनी हुई है।

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