मुख्य तथ्य:
• SIR अभियान 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चल रहा है।
• केरल में स्थानीय स्वशासी निकाय (LSGI) चुनाव दो चरणों में होंगे:
• 9 दिसंबर: तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पथनमथिट्टा, अलप्पुझा, कोट्टायम, इडुक्की और एर्नाकुलम जिले
• 11 दिसंबर: त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड जिले
• मतगणना: 13 दिसंबर, चुनाव प्रक्रिया पूरी होने की अंतिम तिथि: 18 दिसंबर
केरल सरकार का मुख्य तर्क:
• SIR और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराना व्यावहारिक रूप से “लगभग असंभव” है।
• SIR के लिए 1.76 लाख सरकारी/अर्ध-सरकारी कर्मचारियों और 68 हजार पुलिसकर्मियों की जरूरत है।
• इसके अतिरिक्त SIR में 25,668 अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है।
• इतनी बड़ी संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों को एक साथ दो बड़े अभियानों में लगाना संभव नहीं है।
• इससे न केवल चुनाव प्रभावित होंगे, बल्कि पूरे राज्य के प्रशासनिक कार्य ठप होने का खतरा है।
केरल में कुल 1,200 स्थानीय निकाय हैं, जिनमें 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें, 14 जिला पंचायतें, 87 नगरपालिकाएं और 6 निगम शामिल हैं। कुल 23,612 वार्डों में चुनाव होने हैं।
कानूनी आधार:
याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 243-E और 243-U तथा केरल पंचायत राज अधिनियम व नगरपालिका अधिनियम की संबंधित धाराओं का हवाला दिया है, जिनके तहत हर पांच साल में स्थानीय निकाय चुनाव अनिवार्य हैं।
हालांकि दोनों याचिकाकर्ताओं (केरल सरकार और IUML) ने SIR की संवैधानिक वैधता पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे “लोकतंत्र के लिए अभिशाप” बताया है, लेकिन वर्तमान याचिकाएं मुख्य रूप से व्यावहारिक और लॉजिस्टिकल समस्याओं पर केंद्रित हैं।
सुप्रीम कोर्ट अब 21 नवंबर को इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेगा। यह मामला केरल ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चल रहे SIR अभियान की समय-सारिणी और उसकी व्यावहारिकता पर भी सवाल उठाता है।

