A2 Ghee News: क्या है खास और क्यों है इतना महंगा?

A2 Ghee News: भारतीय बाजारों में इन दिनों ए2 घी की चर्चा जोरो से है। इसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बताकर बेचा जा रहा है, लेकिन इसकी कीमत आम देसी घी से कई गुना ज्यादा है। जहां सामान्य घी 600 से 1000 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध है, वहीं ए2 घी की कीमत 2000 से 3000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच रही है। आखिर क्या है ए2 घी, और क्यों यह इतना महंगा बिक रहा है? आइए, इसकी सच्चाई जानते हैं।

ए2 घी क्या है?

ए2 घी देसी गायों, खासकर गिर, साहिवाल, थारपारकर जैसी नस्लों के दूध से बनाया जाता है। दावों के अनुसार, इस दूध में ए2 बीटा-कैसीन प्रोटीन पाया जाता है, जो पाचन के लिए बेहतर माना जाता है। सामान्य दूध में ए1 और ए2 दोनों तरह के बीटा-कैसीन प्रोटीन हो सकते हैं, लेकिन ए2 घी को खासतौर पर ए2 प्रोटीन युक्त दूध से तैयार किया जाता है। कंपनियां दावा करती हैं कि यह घी ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन A, D, E, K और कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA) से भरपूर होता है, जो हृदय स्वास्थ्य, पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और त्वचा के लिए फायदेमंद है। आयुर्वेद में भी इसे औषधीय गुणों वाला बताया जाता है।

क्यों है इतना महंगा?

ए2 घी की ऊंची कीमत के पीछे कई कारण हैं। पहला, देसी गायों की नस्लें, जैसे गिर, कम दूध देती हैं (3-5 लीटर प्रतिदिन), जबकि विदेशी नस्ल की गायें 15-25 लीटर तक दूध देती हैं। कम दूध उत्पादन के कारण ज्यादा गायें पालनी पड़ती हैं, जिससे लागत बढ़ती है। दूसरा, ए2 घी को पारंपरिक बिलोना विधि से बनाया जाता है, जिसमें दही को मथकर मक्खन निकाला जाता है और फिर उसे तपाकर घी तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया श्रमसाध्य और समय लेने वाली है।

इसके अलावा, ए2 घी की मार्केटिंग पर भारी खर्च किया जाता है। इसे ‘सुपरफूड’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जिससे इसकी मांग बढ़ी है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और जैविक उत्पादों की दुकानों में इसे प्रीमियम उत्पाद के तौर पर बेचा जाता है। कुछ कंपनियां दावा करती हैं कि उनकी गायों को विशेष चारा, जैसे अश्वगंधा, शतावरी और तुलसी, खिलाया जाता है, जो घी की गुणवत्ता बढ़ाता है, जिससे लागत को भी बढ़ा देता है।

क्या वाकई है फायदेमंद?

ए2 घी के स्वास्थ्य लाभों को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद हैं। इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी का कहना है, “ए2 घी को लेकर बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए जा रहे हैं। घी में 99.5% वसा होती है, और ए2 प्रोटीन की मात्रा न के बराबर होती है। इसके औषधीय गुणों का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।” फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने भी 2024 में ए1 और ए2 लेबलिंग को भ्रामक बताते हुए रोक लगाई थी, हालांकि बाद में यह एडवाइजरी वापस ले ली गई।

वहीं, कुछ डायटीशियन और आयुर्वेद विशेषज्ञ ए2 घी को पाचन के लिए हल्का और स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं। उनका कहना है कि यह लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों के लिए बेहतर हो सकता है और सूजन कम करने में मदद करता है।

बाजार में चुनौती

ए2 घी की ऊंची कीमत और इसके दावों पर सवाल उठने से बाजार में इसकी स्थिरता पर भी असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारी मार्केटिंग खर्च के कारण कई ए2 घी ब्रांड बाजार से गायब हो चुके हैं। इसके अलावा, मिलावटी घी की समस्या भी उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि शुद्धता की जांच के लिए घी को हथेली पर रगड़कर या गरम करके देखा जा सकता है।

निष्कर्ष

ए2 घी की लोकप्रियता और कीमत दोनों ही तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभों पर वैज्ञानिक सहमति का अभाव है। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे खरीदने से पहले उत्पाद की शुद्धता और विश्वसनीयता की जांच करें। क्या यह वाकई सुपरफूड है या मार्केटिंग का जादू? यह सवाल अभी भी बाक़ी है?

यहां से शेयर करें