मॉसाद के लिए ब्लैकमेल रिंग? खुफिया नेटवर्क के साये में वैश्विक साजिश

Washington/Tel Aviv News: जेफ्री एप्स्टीन का नाम आज भी दुनिया भर के एलीट्स – राजनेताओं, व्यापारियों और सेलेब्रिटीज – को सिहरा देता है। अमेरिकी वित्तीय जगत का यह बदनाम अरबपति, जो 2019 में जेल में रहस्यमयी मौत मरा, कथित तौर पर नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और ट्रैफिकिंग का मास्टरमाइंड था। लेकिन हाल की जांचों ने एक नया मोड़ दिया है: क्या एप्स्टीन इजरायल की खुफिया एजेंसी मॉसाद का एजेंट था, जो अमेरिकी और वैश्विक नेताओं को ब्लैकमेल करने के लिए ‘हनीट्रैप’ ऑपरेशन चला रहा था? विभिन्न स्रोतों से इकट्ठी जानकारी के आधार पर यह रिपोर्ट उन दावों को खंगालती है जो दशकों पुरानी साजिशों की ओर इशारा करते हैं।

एप्स्टीन की कहानी 1980 के दशक से शुरू होती है, जब वह ब्रिटिश मीडिया टाइकून रॉबर्ट मैक्सवेल के संपर्क में आया। रॉबर्ट, घिस्लेन मैक्सवेल (एप्स्टीन की पार्टनर और सह-आरोपी) के पिता, खुद मॉसाद के लिए काम करने का आरोप झेल चुके थे। 1991 में उनकी रहस्यमयी मौत के बाद इजरायल ने उन्हें स्टेट फ्यूनरल दिया, जो उनकी खुफिया कनेक्शनों की ओर इशारा करता है। पूर्व इजरायली खुफिया अधिकारी एरी बेन-मेनाशे ने अपनी किताब “एप्स्टीन: डेड मेन टेल नो टेल्स” में दावा किया कि रॉबर्ट ने ही एप्स्टीन और घिस्लेन को मॉसाद से जोड़ा। “वे नाबालिग लड़कियों को प्रमुख राजनेताओं को उपलब्ध कराते थे, फिर उन घटनाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग से ब्लैकमेल करते थे – ताकि इजरायली खुफिया के लिए सूचनाएं हासिल की जा सकें,” बेन-मेनाशे ने कहा।

यह दावा कोई नया नहीं है। 2025 में ड्रॉप साइट न्यूज की एक सीरीज जांच ने एप्स्टीन के ईमेल्स और कैलेंडर रिकॉर्ड्स का खुलासा किया, जिसमें साबित होता है कि वह इजरायल के हितों के लिए ‘फ्रीलांस डिप्लोमैट’ की भूमिका निभा रहा था। पूर्व इजरायली प्रधानमंत्री एहुद बराक उसके न्यूयॉर्क टाउनहाउस में दर्जनों बार रुके, और मॉसाद से जुड़े 20 साल के वेटरन योनी कोरेन ने 2013-2016 के बीच वहां हफ्तों बिताए। कोरेन, जो मॉसाद के कवरट ऑपरेशंस में काम कर चुके थे, एप्स्टीन के जरिए अमेरिकी और इजरायली खुफिया के बीच ब्रिज का काम कर रहे थे। इन ईमेल्स में एप्स्टीन बराक को सलाह देते दिखते हैं कि “मॉसाद के हेड (नंबर 1) को बहुत जल्दी न बताएं” – रूस-इजरायल बैकचैनल डील्स के संदर्भ में। एप्स्टीन ने इजरायल-मंगोलिया सिक्योरिटी एग्रीमेंट और सीरियन सिविल वॉर के दौरान रूस के साथ बैकचैनल भी ब्रोकर किया।

ब्लैकमेल के टारगेट
एप्स्टीन की ब्लैकमेल लिस्ट – अगर यह मॉसाद कनेक्शन सही है – अमेरिकी पॉलिटिशियंस से लेकर वैश्विक लीडर्स तक फैली हुई थी। बेन-मेनाशे के मुताबिक, “एप्स्टीन पॉलिटिशियंस को 14 साल की लड़कियों के साथ फोटो खींचता था।” प्रमुख नामों में शामिल हैं:

• बिल क्लिंटन: एप्स्टीन के प्राइवेट जेट ‘लोलिता एक्सप्रेस’ पर 26 बार यात्रा। वर्जीनिया ग्यूफ्रे (एप्स्टीन की विक्टिम) ने दावा किया कि क्लिंटन को ‘पॉकेट में रखने’ के लिए ब्लैकमेल किया गया।

• डोनाल्ड ट्रंप: 1992 में एप्स्टीन के साथ पार्टी में देखे गए। हालांकि ट्रंप ने बाद में दूरी बनाई, लेकिन 2002 में कहा था, “एप्स्टीन मेरी तरह ही लड़कियों का शौक रखता है – लेकिन हल्का।” टकर कार्लसन ने 2025 में दावा किया कि वाशिंगटन में “हर कोई मानता है कि एप्स्टीन मॉसाद के लिए ब्लैकमेल चला रहा था।”

• प्रिंस एंड्र्यू: ब्रिटिश रॉयल फैमिली के सदस्य पर ग्यूफ्रे ने यौन शोषण का आरोप लगाया। एप्स्टीन ने कथित तौर पर उन्हें ‘हनीट्रैप’ में फंसाया।

• एलन डर्सोविट्ज: एप्स्टीन के वकील, जिन पर विक्टिम्स ने आरोप लगाए। उन्होंने मॉसाद कनेक्शन को हंसकर खारिज किया।

• अन्य: बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन, लेस वेक्सनर (एप्स्टीन के फाइनेंशियल बैकर, जो प्रो-इजरायल एक्टिविस्ट थे) और यहां तक कि साइंटिस्ट्स व फिलैंथ्रोपिस्ट्स। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर हाल के पोस्ट्स में यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह ‘मॉसाद ब्लैकमेल लिस्ट’ अमेरिकी पॉलिसी को इजरायल के हित में मोड़ने के लिए इस्तेमाल हुई।

2008 का कुख्यात ‘स्वीटहार्ट डील’ – जहां एप्स्टीन को सिर्फ 13 महीने की सजा मिली – इस थ्योरी को मजबूत करता है। पूर्व यूएस अटॉर्नी अलेक्जेंडर एकॉस्टा ने कथित तौर पर ट्रंप ट्रांजिशन टीम को कहा, “एप्स्टीन इंटेलिजेंस का है, इसे छोड़ दें।” हालांकि एकॉस्टा ने बाद में इनकार किया।

इजरायल की ओर से इनकार
इन दावों का जोरदार खंडन इजरायल से आया है। पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने जुलाई 2025 में एक्स पर लिखा, “एप्स्टीन का मॉसाद या इजरायल से कोई लेना-देना नहीं। यह पूरी तरह झूठ है, जो एंटी-सेमिटिक साजिशों से प्रेरित है।” बेनेट ने जोर दिया कि मॉसाद उनके अधीन था, और कोई सबूत नहीं है। एहुद बराक ने भी कहा कि उनकी एप्स्टीन से मीटिंग्स बिजनेस डील्स (जैसे कार्बाइन टेक फर्म) तक सीमित थीं, क्राइम से अनजान थे।

फैक्ट-चेक साइट्स जैसे फैक्टुअली.को का कहना है कि सर्कमस्टैंशियल एविडेंस (ईमेल्स, मीटिंग्स) तो हैं, लेकिन कोई डिक्लासिफाइड डॉक्यूमेंट या पेमेंट रिकॉर्ड नहीं जो एप्स्टीन को मॉसाद एजेंट साबित करे। फिर भी, 2025 में एफबीआई/डीओजे की रिपोर्ट – जिसमें ‘क्लाइंट लिस्ट’ न होने का दावा – ने संदेह बढ़ाया है। ट्रंप प्रशासन ने फाइल्स रिलीज का वादा किया, लेकिन कुछ ही जारी हुए।

एक्स पर बहस
एक्स पर यह मुद्दा गरम है। यूजर्स जैसे @ShaykhSulaiman ने पुराने वीडियोज शेयर कर दावा किया कि एप्स्टीन ‘मॉसाद ब्लैकमेल लिस्ट’ चला रहा था। @OurOwnNation ने हाल के ईमेल्स का हवाला देते हुए कहा, “मॉसाद घरेलू स्तर पर एलीट्स को ब्लैकमेल कर रहा है।” लेकिन कई पोस्ट्स एंटी-सेमिटिक रंग ले लेते हैं, जो बेनेट जैसे नेताओं का तर्क मजबूत करता है।

वर्जीनिया ग्यूफ्रे जैसी विक्टिम्स आज भी न्याय की गुहार लगा रही हैं। एप्स्टीन की मौत – आधिकारिक तौर पर सुसाइड – को कई लोग हत्या मानते हैं, ताकि राज न खुलें। क्या यह मॉसाद का ‘क्लीनअप’ था? सवाल बाकी हैं।

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