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गूगल के बिना शाम अधूरी सी लगती है : राजू जांगिड़


रमेश ठाकुर
नई दिल्ली। जमाना गूगल का है। समूची दुनिया गूगल में सिमट गई है। किसी भी तरह की जानकारी इस प्लेटफॉर्म से मुहैया हो जाती है। व्यक्तिगत जानकारी अगर किसी की लेनी हो तो उसके लिए विकिपीडिया उचित माध्यम है, जो एक ज्ञान कोष के रूप में काम करती है। गूगल और विकिपीडिया का आपस में कैसा संबंध है और दोनों के काम कैसे एक दूसरे से विभिन्न है, इन्हीं सभी बातों को जानते हैं गूगल एक्सपर्ट एडिटर है राजू जांगिड़ से जो वर्षों से इस क्षेत्र से जुड़े हैं। उनसे रमेश ठाकुर की विस्तृत बातचीत।
गूगल से आपका कैसे जुड़ाव हुआ?
मन में कुछ अलग करने का ठाना हुआ था। दरअसल मुझे बचपन से ही लिखने-पढऩे का बहुत शौक रहा है फिर जब विकिपीडिया का पता चला तो रूचि और बढ़ गई। साथ ही काफी भाषाओं के मुकाबले हिंदी विकिपीडिया पर सक्रीय सदस्य बहुत कम है इस कारण भी मैं अपना योगदान दे रहा हूँ। गूगल अब ज्ञान प्राप्ति का भंडार बन गया है।
गूगल और विकिपीडिया क्या अंतर है?
दोनों के काम करने तरीके भिन्न हैं। गूगल हर तरह की जानकारियाँ मुहैया कराता है तो विकिपीडिया व्यक्तिगत जानकारियाँ देता है। विकिपीडिया प्रतिष्ठित लोगों को जगह देता है। आप अपने क्षेत्र में अच्छा कर रहे है हो गूगल की नजर रहती है। आपके रेफेरंस के आधार पर आपको जगह देता है।
आपको विकिपीडियन कहा जाता है?
मेरा इस क्षेत्र में लंबा अनुभव है। मेरे लिए विकिपीडिया पर अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि विकिप्रोजेक्ट क्रिकेट रही है क्योंकि इस सेक्शन में बहुत कम लेख बने हुए थे और मैंने लगभग 700 के आसपास क्रिकेट खिलाडिय़ों के लेख बनाए है। देश दुनिया के लोग गूगल एक्सपर्ट आदि नामों से भी पुकारते हैं मुझे।
गूगल पर आप लंबे समय से कार्यरत, आगे क्या लक्ष्य है?

लक्ष्य की बात करें तो अभी यही है कि आने वाले समय में ऐसे ही अपना योगदान देता रहूं ताकि जिन्हें जानकारी की जरुरत है उन्हें मिल सके। एक तौर पर हम देश-दुनिया को जानकारियाँ ही वितरित करते हैं। गूगल से प्राप्त होने वाली जानकारियों पर अन्य देशों के मुकाबले भारत पीछे न रहे। यही कोशिश हमारी रहती है।
हिंदी के अलावा अंग्रेजी पेज एडिट क्यों नहीं करते, जबकि वहां विजिटरों की संख्या ज्यादा होती है?
इस सवाल के मेरे तीन जवाब है, पहला तो यह है कि मुझे हिंदी से बहुत लगाव है इस कारण मैं इसमें योगदान दे रहा हूँ। दूसरा यह कि यहाँ बहुत कम यूजऱ है जो लगातार योगदान दे पाते है और तीसरा यह कि मेरी अंग्रेजी ज्यादा खास नहीं है। हालांकि मैंने अंग्रेजी पर भी कुछ लेख बनाये है। बाकी दोनों भाषाओं पर विजिटरों की कमोबेश एक जैसी ही रहती है।

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