मनोचिकित्सा विभाग में तैनात वरिष्ठ रेजिडेंट डॉ. विवेक शर्मा ने बताया कि ढाई साल पहले एक युवती अपने पिता का इलाज कराने मेडिकल कॉलेज आई थी। उसी दौरान उसने उनका मोबाइल नंबर ले लिया और फीडबैक के बहाने संपर्क शुरू किया। बाद में यह सिलसिला बार-बार फोन कॉल्स और मैसेजेस में बदल गया। डॉक्टर ने कई नंबर ब्लॉक किए और युवती को समझाया भी, लेकिन वह नहीं मानी। डॉक्टर ने स्पष्ट बताया कि वे शादीशुदा हैं और अपनी पत्नी (जो इसी कॉलेज के ईएनटी विभाग में तैनात हैं) को भी पूरी बात बताई थी।
26 दिसंबर को युवती अचानक हॉस्टल की लॉबी में पहुंची और वार्डन से डॉक्टर का पता पूछते हुए कहा, “कहां हैं डॉक्टर साहब? मैं उनसे प्यार करती हूं, मिलना है।” जब बताया गया कि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, तो वह घंटों इंतजार करती रही। स्टाफ और वार्डन ने समझाने की कोशिश की, पुलिस बुलाने की बात कही, तो वह वहां से चली गई। डॉक्टर उस समय बनारस में थे, लेकिन सूचना मिलते ही उन्होंने फोन पर समझाने की कोशिश की, जो नाकाम रही।
मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. तपस ने कहा कि युवती मानसिक रूप से कमजोर लगती है और यह जेनेटिक बीमारी भी हो सकती है। वह परिवार से अलग रहती है और पारिवारिक-मानसिक सपोर्ट की तलाश में ऐसा व्यवहार कर रही है। उसे इलाज और परिवार के सहयोग की सख्त जरूरत है।
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रबंधन पूरी तरह डॉक्टर के साथ है और कानूनी कार्रवाई चल रही है। गुलहरिया थाना प्रभारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि डॉक्टर की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर महिला की तलाश की जा रही है।
ताजा जानकारी के अनुसार, घटना के पांच दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस को महिला का कोई सुराग नहीं मिला है। मामले में कोई नई गिरफ्तारी या कोर्ट अपडेट सामने नहीं आया है। डॉक्टर दंपति अभी भी परेशान हैं और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। यह घटना मेडिकल प्रोफेशनल्स के सामने आने वाली स्टॉकिंग और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को उजागर करती है।

